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घर और मकान में क्या अंतर है -Ghar or makan me anter


नमस्कार दोस्तों आज मै  आपको इस लेख  के माध्यम से घर और मकान में क्या अंतर है मै  आपकोअपने शब्दों में  बताने  जा रही हु घर और मकान  कहने को सामान लगता है लेकिन इन  शब्दों के मतलब बिल्कुल  अलग ही होता है  घर और मकान -देखने में इन  दोनों शब्दों  के अर्थ बिल्कुल  एक जैसे  लगते है , जैसे कोई अंतर  न ही  हो। परन्तु  इन शब्दों  के अर्थ  में बहुत  अंतर है आइये जानते है आखिर  मकान और घर में क्या अंतर है 

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मकान  क्या होता है -

 मकान  वह  होता है जिसे पैसे ,ईट ,और मिटटी ,बदर, रोड़ी  सीमेंट से बनी  चार  दीवार बांया जाता है उसे   मकान  कहते है मकान  को घर के रूप में इस्तेमाल करते है मकान जीवन में होने वाले अनेक संसार की  सुविधवो  लिए इस्तेमाल किया जाता है, मकान से लोग अपना खुद का आशियाना भी बना लेते है ऐसा नहीं है की मकान  कभी घर नहीं बनेगा  मकान भी घर बनेगा  है मकान एक ऐसी  वस्तु है जिसे बेचा और ख़रीदा जा सकता  है आज के समय में बहुत से लोग फैल्ट और किराये पर रहते है 

घर क्या होता है    -

घर एक ऐसा  शब्द  है जो आपसी प्यार व्यवहार  से बनता है जब एक ही छत के नीचे एक परिवार रहता है क्योकि घर बनता है परिवार से ,रीति -रिवाजो से और मर्यादाओ से जिनकी आधार शिला विश्वाश  पर रखी होती है जब दिन भर का थका  व्यक्ति घर आकर आराम महसूस करता है जहाँ  उनके बच्चे उसका इंतजार  करते है और बड़े - बूढ़े उसके देर से आने पर चिंता करते है समय - समय पर उसे लंबी  आयु और सदा सुखी रहने के आशीर्वाद देते है और उनका दिया आशीर्वाद एक दिन जरूर रंग लाते है 

मनुष्य के जीवन में घर  सब के लिए अनमोल है घर में एक परिवार  रहता है एक दूसरे की कद्र  करते है और आपसी रिश्ते निभाते है  उसे सही मायनो में घर कहा जाता है मकान को तो बेचा  ख़रीदा जा सकता है परन्तु घर को नहीं। घर में हमारी बचपन से लेकर आजतक की अच्छी - बुरी यादे जुडी होती है घर वह स्थान है जो व्यक्ति आराम और चैन से रहता हुआ स्वयं  को सुरक्षित महसूस  करता है इन्सान चाहे  कही भी रह ले ,उसे कुछ समय के बाद अपने घर की याद आनी  शुरू हो जाएगी क्योकि हम सभी अपने घरो को  प्यार करते है घर पर हमारी खुशिया और यादे बसी हुए होती है जो प्यार सत्कार ,शिक्षा और  संसार हमे अपने घर से  मिलते है  , वे कही और नहीं मिल सकते। 

इस बात का अंदाजा हम हॉस्टल  और घर में रह रहे बच्चो के व्यवहार से लगा सकते है घर में रहने वाले बच्चे हॉस्टल में रहने वाले बच्चो से अच्छे  संस्कार  रहते है क्योकि घर  में रहने वाले बच्चे परिवार का अंग  होते है और उनकी हर  गलतियों पर  नजर रखने  वाले बड़े - बूढ़े  लोग भी उस परिवार में होते है जो उन्हें कदम -कदम  पर समझा  कर अच्छी  शिक्षा देते है और उनका मार्ग दर्शन  करते है और उन्हें सही - गलत  में अंतर  बता सकते है परन्तु जिन बच्चो का बचपन  हॉस्टल के एक कमरे में बीता  हो उन्हें क्या पता की घर क्या होता है , परिवार क्या है ? ऐसा नहीं है की उन   बच्चो को अनुशासन में रहना  नहीं सिखाया  जाता है परन्तु अनुशासन और संस्कार दो पहलु है वे केवल  अपने बारे में ही सोचते है क्योकि  वो स्वयं को असुरक्षित  महसूस  करते है  कई  बार उनका अकेला पन  इतना  बढ़   जाता है की वे आगे चल कर कई  प्रकार की गलत आदतों के शिकार हो जाते हैऔर नशे आदि भी करने लगते है   

आप बातइए क्या इसमें इन  बच्चो का दोष  है ? नहीं , क्योकि उन्हें अच्छी परवरिश ही नहीं मिली। उनके पास माँ की ममता नहीं है और न ही दादा -दादी का प्यार। शाम  होते ही वह अपने कमरे  में चले  जाते है जहाँ  उनके साथी ऐसे ही बच्चे है जिनको स्वयं  किसी के सहारे की आवश्यकता होती है ,प्यार की जरूरत है उनके पास बड़ो का प्यार नहीं क्योकि वे उनसे दूर है वे शाम होते ही अपने दादा -दादी के पास कहानी  सुनने नहीं जा सकते  है देर होने  पर उनका इंतजार करने वाला कोई नहीं है उन्हें अपना जीवन जीने की पूरी आजादी है।  चाहे वो मार्ग गलत ही क्यों न हो।  क्या आप मान सकते है की जब वो बच्चे घर आएंगे तो आप उन्हें अपने अनुसार  चला  पायेंगे।  घर से दूर रहने वाले बच्चे प्रायः  चिड़चिड़े और एकान्तप्रिय  स्वभाव के  हो जाते है उन्हें परिवार और परिजनों के महत्व का बहुत कम ज्ञान , बहुत कम अहसास  होता है 



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जिन  बच्चो को पढ़ने के लिए बाहर शिक्षा  ग्रहण करने के लिए भेजा  जाता है वे शिक्षा  तो ग्रहण  कर लेते है परन्तु अच्छे संसार  नहीं।  जिस तरह का जीवन वह बाहर  व्यतीत करते है घर में नहीं कर सकते क्योकि बच्चो  का मन कोरे  कागज  की तरह होता है , उस कागज पर जो भी लिख  गया , वह  सदा के लिए छाप छोड़ जाता है 

यदि बच्चो को पढ़ने के लिए बाहर  भेजना  जरुरी हो तो उनसे समय - समय पर सम्पर्क  बनाते रहे। वहाँ जाकर व्यवहार के बारे में ,रहन -सहन के बारे में पता करते रहे जब भी समय मिले , उन्हें घर लाते रहे और उन्हें परिवार और घर का महत्व और मर्यादा के विषय में भी अवगत करते रहे। उनमे आपसी प्रेम  और  सहयोग की भावना  बढ़ाये। 

प्रत्येक  व्यक्ति  जीवन में किसी का साथ  चाहता है जो उसका साथ निभाए , जरूरत पड़ने पर उसकी सहायता करे और यह सब हम, अपनों से बढ़कर कौन  दे सकता है ?अपनों से अपनों को दूर करने वजह  निकट  लाये क्योकि जो हमारे  साथ   बड़े हुए है वो  हमें दुसरो से  कही बेहतर  जानते है क्यों न  इन  रिस्तो का जीवन  भर साथ दे संयुक्त  परिवार  को बढ़ावा दो 

एक दूसरे का ध्यान रखने से तथा एक- दूसरे  को ख़ुशी देने से मकान से घर बन जाता है फिर घर से मंदिर बन जाता है घर और मकान में अंतर क्या है ये तो आपको समझ अ  गया होगा  ईट से तो मकान बनाया  जाता है लेकिन घर प्रेम से बनता है परिवार में प्रेम होता है जिस घर में   प्रेम का वास  होता है उस घर में सदैव  खुशियो  का आगमन होता है  

घर को अनेक नामो से बुलाया जाता है जैसे  ,आलय , निवास ,भवन ,गेह ,आवास ,निकेतन ,वास , शाला  ,सदन ये सारे शब्द घर का पर्यावाची शब्द माना जाता है जिसे अपने आशियाने को बहुत से नाम से जाना जाता है घर और मकान में क्या अंतर है यह तो समझ में अ गया होगा  मकान  बनाने में तो कुछ ही समय  लगते  है लेकिन मकान को घर बनने  में बहुत समय लग जाता है जिंदगी में घर तो सभी के लिए एक ऐसा आशियाना है जब कोई व्यक्ति बहुत समय तक अपने घर से दूर रहता है वह दुनिया में कहीं  भी रहे लेकिन जब तक वह  अपने घर आराम  न करे  तब तक उसे सुकून  नहीं मिलता

दोस्तों आपका समय आपके लिए बहुत  महत्वपूर्ण है लेकिन मोटिवेशनल  स्टोरी  पढ़ने से हमें अपने अंदर की कमिया और अपने परिवार के प्रति  दुरी का अहसास हो जाता है इस लिए  मोटिवेशनल  स्टोरी पढ़ना  बहुत ही जरुरी है  बहुत से लोग अपने घर - परिवार को छोड़ कर उनसे रहने कही दूर चले जाते है उन्हें अपने परिवार के साथ रहना अच्छा  नहीं लगता  है  जो उनकी जिंदगी में दखल  देते है कुछ लोगो को अपने  माता - पिता का उनकी जिंदगी में दखल  देना पसंद नहीं ,दोस्तों उनसे पूछो जिनके पास रहने  को  घर नहीं है और परिवार नहीं है कोई उनको सही और गलत बताने वाले नहीं , उनको पता है परिवार की अहमियत क्या होती है इसी  लिए जिंदगी में दोस्त अपने परिवार में रह कर जीवन को जीना  दुनिया  का सबसे बड़ा धन है जो आपको भगवान्  ने दिया है उसकी कद्र  करना सीखे और याद रखे की मकान तो घर बन जाता है तो बहुत की ख़ुशी मिलती है लेकिन अगर घर  ,मकान में परिवर्तित हो जाता है तो वह  घर नहीं ईटो की चार  दीवारे  मानी  जाती है 

मेरा यह आर्टिकल पढने के लिए बहुत - बहुत  धन्यवाद ,अगर आपको यह आर्टिकल्स अच्छा लगा हो तो मुझे  कमेंट बॉक्स में कमेंट करे की आपको यह कैसा  लगा 

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