आज कल संसार में दुःख और सुख में कोई अंतर ही नहीं है जब मनुष्य के जीवन में सुख होता है वह तब भी दुखी रहता है और जब दुःख आता है तो दुसरो की खुशिया देखकर दुखी होती है आज मै आपको इस लेख के माध्यम से बताऊगी की दुःख के साथ जीवन में सुख होता है क्या सुख है तो हम सुख के साथ सुखी रहते हैं क्या जीवन में सुख -दुख के साथ दुःख में भी सुख मिलता है।
दुःख का क्या अर्थ है
दुःख का अर्थ यह है की आज इस संसार में सब कुछ होने बावजूद भी मानव दुखी है उसके मन में आनंद नहीं है बस एक कसक सी है और बेचैनी है अगर कोई ख़ुशी का अवसर आता भी है तो हमें इतनी ख़ुशी नहीं होती है ... क्या कभी हमने दुःख का कारण जानने की कोशिश की है क्यों हमारे पास सब कुछ होने के बाद भी हम दुखी है? एक बेकरारी सी मन में क्यों बनी हुई है इन दुखो का कारण है हमारी असीमित इच्छाये है जो हमें कभी भी चैन से बैठने नहीं देती है ,अगर एक वस्तु मिल जाती है तो फिर दूसरी की लालसा मन में उसे पाने की होने लगती है। और वह पूरी होने पर किसी और वस्तु पर मन अ जाता है।
व्यक्ति की ख्वाहशो का अंत नहीं,
दो गज जमीन भी चाहिए, दो गज कफन के बाद
आखिर मनुष्य के जीवन में दुःख का कारण क्या है मनुष्य के जीवन में दुःख का सबसे बड़ा कारण उनकी असीमित इच्छाये है जो मनुष्य को खुशी से जीने नहीं देती है अगर व्यक्ति को एक वस्तु की ख़ुशी मि लती है तो दूसरी वस्तु की प्राप्ति की इच्छा रखता है और दुसरो से झूठी उम्मीद भी इंसानों के दुःख का सबसे बड़ा कारण है जो अपने आप में खुशी से न रहने देती है दुःख हमेशा हमारी सोच पर निर्भरता करता है जैसी हमारी सोच होगी वैसा ही हमारा जीवन होगा ,
मान लो कुछ ऐसा हो जाता है जो हमारे मन और इच्छा के विरुद्ध होता है या कुछ नुकसान हो जाता है तो हमें उसे सहन करना सीखना ही चाहिए ,क्योकि जो होना था ,वह हो चुका , अब इस में हम कुछ नहीं कर सकते, हमारे शोक मानने य चिंता करने से कुछ नहीं होने वाला ,हा इतना जरूर है की हम अपना संतुलन ख़राब कर लेंगे ,चिंता एक चिता के समान होती है यह मानव को अंदर से खोखला बना देती है हम और कुछ तो नहीं कर सकते है ,अपना और ज्यादा नुकसान ही करते है अगर मुश्किल घड़ी में हम न टूटे ,खुद को मजबूत बना ले और इस सच्चाई को मान ले की मुश्किले तो जिन्दगी का एक हिस्सा है , दुनिया में आने वाला हर इन्सान इन्हे झेलता है और जो इस मुश्किल समय में डट कर सामना करे वही व्यक्ति सफल होता है जीवन में,
यदि हम यह मन ठान ले की चाहे कोई भी कुछ भी कर ले और चाहे कुछ भी क्यों न हो जाये मेरे होठो की हसी कोई नहीं छीन सकता है मै हमेशा मुस्कुराता ही रहुगा तो विश्वाश कीजिये आपका दुःख आधा रह जायेगा आप सुख का जीवन जी सकोगे
जीवन में दुःख को महसूस करने से दुःख और बढ़ता है क्योकि बार - बार हम उसी को लेकर सोचते रहेंगे ,जो हमें दर्द देती है तो हम मानसिक तनाव के शिकार हो जाएगे , नींद भी नहीं आएगी क्योकि दिन- रात दिल में वही बात घूमती रहती है जिससे हमारे मन ,शरीर और दिमाग पर बुरा प्रभाव होता है जिससे नुकसान भी हमारा होगा किसी और का नहीं, एक नुकसान तो किसम्मत ने लिखा था ,दूसरा हम खुद लिख रहे होते है एक दुःख तो किसम्मत ने दिया होता है दूसरा हम खुद दे रहे है
अपने आप को खुशी से दूर रखना और झूठ बोलना मानो लोगो की एक नई आदत सी हो गयी है और ऐसे छोटी -छोटी खुशिया पर ध्यान देने से हमारा आने वाला जीवन दुखो से नहीं भरा होगा पुराने समय से अपडेट होने पर - साथ में नया नया अपडेट होना बहुत जरूरी है। झूठ बोलकर, हम भी अपने आप को दिखावे के लिए खुश कर सकते हैं।लेकिन वह ख़ुशी किस काम की जब हम अंदर से दुखी रहे , दुःख तो सभी के पास होता है लेकिन ें दुखो में रख कर खुशिया ढूढना एक अच्छे इन्सान का खुशहाल जीवन होता है अब जरा सोचिये यह छोटी सी बात समझने में हमें इतना लंबा समय क्यों लगा दिया, हमारी आदत ही कुछ ऐसी हो गयी है की हमें समझ भी तभी आती है जब हमारा कीमती समय खो चुका होता है जो बीत गया वह कभी वापस नहीं आने वाला, अपना बहुमूल्य समय, सब कुछ लुटा कर होश में आये हो तो क्या? क्यों न लुटाने से पहले समझा जाए
आइये और जानिए -
हो सके तो दर्द देने वाली बात को दूर रखने दे उसे उसे दिमाग से निकलने का प्रयास करे, मन से निकलना यह आसान नहीं है लेकिन मुश्किल भी नहीं है
यह सोच कर जीते चले गए अब जीवन को एक ही बात को लेके बैठे रहेंगे तो क्या। हम कभी खुशी से रह सकते हैं कभी तो उसे भूलेगी ही, तो आज क्यों नहीं, खुद को तिल - तिल क्यों मारे।
दुःख का दूसरा कारण हमारे दोस्त और दुश्मन, अब आप सोचते होंगे की दुश्मनो को तो दुःख का कारण माना जाता है, लेकिन दोस्तों को क्यों? तो जानिए -
सुख का अर्थ क्या है
सुख क्या है, मन में ख़ुशी, जीवन में खुशी, खुशी का नाम सुनते ही जीवन में उदास चेहरे पर मुस्कान आ जाती है खुशी बहुत कम समय में बीत जाती है और हमें पता भी नहीं चलता है खुशी हमेशा हमारी आत्मा से मिलती है अगर हमारी आत्मा एक वस्तु को पाकर खुश है और दूसरे को पाने की इच्छा नहीं रखता है, मन में कोई लालसा नहीं, किसी के खुशियो से दुखी नहीं है तो हमें सच्चा सुख वही मिल जाता है।
सुख और दुख को इतनी गहराई से नहीं लेना चाहिए, तो यह जीवन के दो अंग है जीवन एक दुसरा जीवन की अभिव्यक्ति है यह सुख और दुःख का अद्भुत सम्मेलन है सुख और दुःख दोनों हमारे जीवन में विशेष है.किसी ने क्या खूब कहा है
दुःख में सिमरन सब करे, खुशी में करे न कोई,
जब सुख में सिमरन सब सही, तो दुःख काहे को होइ
कहते है न कुछ, दुःख परमात्मा का दिया होता है जैसे इन्सान कितना स्वर्थी होता है जब उनको दुख होता है तो भगवान को याद करते है,सुख में कभी भगवान् का सिमरन नहीं करते है ,भगवान् को याद नहीं करते है।, जब थोड़ा सा दुःख हो जाता है भगवान् नाम की माला जपते है इसी लिए कहा गया है परमात्मा को सुख में याद करोगे तो , आपको कभी कोई कमी ,और कभी दुःख नहीं होगा ,और आपके जीवन में आने वाले दुःख कम हो जायेगा ,भगवान् ने कहा अगर इंसान -इन्सान को अपना मानने लगे तो दुःख का पहाड़ कभी नहीं टूटेगा ,सब आपस में प्रेम और प्यार से जीने लगे तो भगवान् को भी ख़ुशी मिलती है
सुख - दुःख के बिना हमारी जिंदगी आगे बढ़ पायेगी जिस तरह दीवार पर लटकी एक बड़ी घड़ी होती है उसमे एक पैंडुलम होता है जो एक बार दायी ओर और एक बार बाईओर ,चलती है यदि वह एक ही तरफ ही ठहर जाय तो घड़ी चलना बंद हो जाएगी ,ठीक इसी तरह हमारी जिंदगी है जिसमें कभी सुख आता कभी दुःख आता है
यदि जीवन में केवल सुख ही सुख ही हो, दुःख न हो तो, सुखो की कोई अहमियत ही क्या रह जाएगी इसलिए दोनों में ही एकरस रह कर ही जीवन जीना चाहिए, हमें दुःख के प्रति अपने कष्ट शक्ति को बढ़ाना होगा क्योकि दुःख और सुख में जीवन में एक समान जीवन जीना चाहिए , खुशी के साथ दुःख भी जरुरी है, क्योकि अगर अँधेरी रात नहीं होती तो चाँदनी की कद्र कौन करता है
महात्मा बुद्ध ने कहा है की अगर दुःख है तो उनके कारण भी है और जो संसार में आया है उसे दुखो का सामना करना पड़ेगा, जन्म से मृत्यु से इन्सान दुखी है, कोई बीमारी से दुखी है, तो कोई भूख से दुखी है, और नहीं ज्यादा खाकर दुखी है, और कोई किसी को ज्यादा खिला कर दुखी है, और गरीब व्यक्ति अपने गरीबी के कारण दुखी है और आमिर व्यक्ति अपनी अमीरी से परेशनियो है
इसके अतिरिक्त लोभ, मोह, अंहकार, क्रोध, घृणा आदि संसार में मौजुद वस्तुओ से दुःख होता है मानव -मानव से करता है कि यही सब हमारे दुःख का कारण बनते है यहाँ तक कहा गया है हमारा जन्म भी है दु ख का कारण है, शरीर का धारण। करना ही दुःख, अगर शरीर न होता तो, तो न इन्सान जन्म लेता न बूढ़ा होता और न ही मरता, इसीलिए कहा गया दुःख और खुशी में अंतर क्या नहीं है
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