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जैसी संगत वैसी ही रंगत jaisee sangat vaisee hee rangat

  प्रेणादायक कहनियाँ -जैसी संगत  वैसी ही रंगत 

Lifeappki

एक कहानी हम बचपन से पढ़ते है की एक बार एक सेब बेचने वाला एक पेटी सेब लेकर आया उसमे एक सेब गन्दा था जब उसने दो दिन बाद पेटी खोली तो देखता है की सारे सेब ख़राब हो चुके है जिस तरह से एक सेब से सारे सेब ख़राब हो गए ऐसी प्रकार एक गलत व्यक्ति की संगति करने से सही व्यक्ति भी गलत दिशा की ओर अग्रसर हो जाता है संगति का प्रभाव तो अवश्य ही पड़ता है तो क्यों न अच्छी संगति में बैठे। अच्छे आचरण वाले व्यक्तियो की संगति से हम अवश्य ही अच्छे गुण ग्रहण करेंगे ,जो जीवन भर हमारे साथ रहेगा समय -समय पर हमारे काम आएगा अच्छे गुणों ,अच्छे संस्कारो और अच्छे मित्रो से ही जीवन को सही दिशा मिलती है यह हमारे हाथ में है की हम स्वयं को किस दिशा में लेकर जाते है यह तो हम सभी चाहते है की हमारा वर्तमान और भविष्य सुन्दर और सुखद हो और हम भी मानते है की मानव सहज ही वैसा हो जाता है जैसा वातावरण का प्रभाव होता है इसलिए हमें अच्छे बुरे का पहचान होना आवश्यक है यदि हम चाहते है की समाज में हमें सम्मान की द्रिष्टि से देखा जाय हर कोई हमारे से मिलाना चाहे तो हमें स्वयं उसके योग्य बनाना होगा यदि अच्छे लोगे के पास बैठगे  तो कुछ  न कुछ सीखने को मिलेगा और यदि हम कुसंगति में पड़  जाये तो विनाश अनिवार्य है धीरे धीरे हमरे अंदर अवगुण आ  जायेगे जिनके कारण हम खुद से और दुसरो से दूर होते चले जायेगे हम मानते है की मानव एक सामाजिक प्राणी है और समाज के बिना नहीं रह सकता एससे  सिद्ध होता है की यदि व्यक्ति सुधर जाए तो समाज सुधर जाए यह तभी हो सकता है जब गलत व्यक्ति सुधर जाए उन लोगो से मेल- मिलाप  बढ़ाये  जो हमें सही दिशा में ले जाये क्योकि हमें विकास चाहिए विनास नहीं संग का रंग तो चढ़ते -चढ़ते चढ़ ही जाता है यदि जीवन में कुछ पाना है और सफल होना है तो अपने दोस्तों अथवा जान -पहचान का दायरा सोच  समझकर बनाना होगा क्योकि सच्चा मित्र हमारा सच्चा सहायक होगा सच्चा मित्र मिलने से से मुशीबते ,मुश्किलें व् तकलीफे आधी हो जाती है परन्तु जो बुरा व्यक्ति होता है वह दुश्मन की भांति होता है अब देखना यह है की सच्चे मित्र की पहचान क्या है आचार्य चाणक्य ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा है की

1 . जो जीवन में सुख और सन्ति ला सके वही सच्चा मित्र है  

2 . पीठ के पीछे बुरा करने वाले और मुँह पर मीठी -मीठी बाते करने वाले मित्रो से सदैव दूर रहना चाहिए ऐसे मित्र से कभी लाभ नहीं होता ऐसे लोगो को अपना मित्र न समझे 

3 . धोकेबाज व् झूठे मित्र पर कभी भी विशवास न करे ऐसे मित्र जब नाराज होते है तो आपके सारे भेद दुसरो से बता देते है ऐसे लोगो कर भूलकर अपना भेद न बताये और न ही इनसे कभी लाभ की आशा करे 

4. धनवान व्यक्ति के पास मित्र बहुत होते है ऐसे मित्र केवल अपने स्वार्थ के लिए बनते है वे धनवान मित्र को केवल मुर्ख बनाने और अपना मतलब निकलने के लिए ही मित्रता का दावा करते है 

5 . प्र्तेक मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ होता है बिना स्वार्थ के मित्रता होए नहीं सकती यह एक कटु सत्य है अतः दुःख के समय में ही सच्चे मित्र का पता चलता है सुख के समय के तो सभी  साथी है किन्तु जब बुरा वक्त आता है तो उसमे सच्चे मित्र की पहचान होती है 

6 . मित्र वही है जो मित्र की रक्षा करे मित्र को भाई से बढ़कर माना जाता है यही कारण है की मित्रता ही 

मानव के काम आती है सच्ची मित्रता कहते ही इसी ही 

7 . मित्रता केवल अपने जैसे लोगो से ही करनी चाहिए मित्रता के लिए आवश्यक है की समान विचार वाला ,सामान कल्पना वाला समान ही आर्थिक स्तिथि का व्यक्ति हो तो मित्रता चलती है गधे और घोड़े ,कुत्ते और बिल्ली ,बकरी और शेर जैसे प्रणियो में कभी भी मित्रता नहीं हो सकती 

8 मानव जैसे भी लोगो के साथ रहेगा उनका प्रभाव अवश्य उसके स्वभाव पर पड़ेगा जैसे बीज का असर पैदा होने वाली फसल पर पड़ता है  इसलिए यदि आपका संग अच्छा है तो आप अवश्य ही अच्छे इंसान है                          

9 . मित्र का पसीना जहा गिरे  सच्चा मित्र  वहा  अपना रक्त गिरा सकता है       

10 . किसी से भी मित्रता करने से पहले बुद्धिमान लोग अच्छी तरह सोच समझ लेते है ताकि अपने स्वार्थ के लिए की जाए मित्रता आगे चलकर दुश्मनी का कारण न बन जाये                                                                    

11 . यदि आपको किसी सच्चे मित्र का संग नहीं मिला तो निराश होने अवश्यकता नहीं है क्योकि आपके आपने परिवार वाले भी तो आप के सच्चे मित्र सिद्ध हो सकते है 

13 . जब आपके बच्चे बड़े हो जाये तो उन्हें भी अपने मित्र के समान ही समझे अपनी संतान से बढ़कर मित्र आप को कहा मिलेगा 

13. मित्र वह तिनका जिसके सहारे समुन्द्र भी आसानी से पार किया जा सकता है 1 .जो आपके जीवन में सुख और शांति ला सके वही सच्चा मित्र है 

हमे मानव की परख करना आना चाहिए क्योकि हम जैसे लोगो का संग करेंगे धीरे -धीरे हम भी उनके जैसे ही हो जायेगे। हम गलत लोगो का संग करके अपना अनमोल जीवन बर्बाद न करे इसलिए संग कैसा हो इसका चयन  हमें स्वयं और विवेक पूर्वक करना होगा 


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