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दुःख का सामना कैसे करे Dukho ka samana kaise kare

 जीवन में जब दुख आता है तो  मानो ऐसा लगता  है  की जाने कही से पहाड़ टूट पड़ा है जीवन एक बोझ  लगने लगता है क्या जीवन एक बोझ है दुःख का सामना कैसे करे   ,बल्कि जीवन एक बोझ नहीं है जिसे हम मजबूरी समझ कर जिए जा रहे हैं जीवन तो वह सुनहरा अवसर है जो हमे बड़े सौभग्य  से मिला है  बहुत से लोग  जीवन को कही न कही बेकार  तरीके से जी रहे है    जो हम सभी लोगो को  अपने जीवन के प्रत्येक पल को बड़े प्यार से जीना चाहिए। हमें  अपने लिए नहीं ,तो दूसरों के लिए लाभदायक बनना चाहिए हमें हर समय खुशियों की तलाश में रहना चाहिए और छोटी सी छोटी खुशियों को भी अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। हमारे जीवन में अनेक प्रकार के दुख भी होते हैं कुछ अपनों के दिए होते है, कुछ गैरो के दिये  होते हैं। दोस्तों मै  इस आर्टिकल के माध्यम से  आपको यह बताऊंगी कि दुख में दुख का सामना कैसे करें , और कैसे अपने जीवन में से दुःख को निकाल कर बाहर फेक दे ,और अपने अंदर के हौसलों को जगाए दुख की घड़ी में क्या करें, अगर जीवन को सही ढंग से जीना है तो जीवन में दुखों का सामना करना आना चाहिए दुखों से सामना करने से  हमें हर प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलेगी

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किसी ने क्या खूब कहा है  कि दुखो का अंत संभव है इनसे छुटकारा पाया   जा सकता है इस लेख में बताया गया है   दुखो से मुक्ति का एक आसान  हल बताया  है , की अगर संसार में जीवन जीना है तो दुखो एक तरफ करके जीना होगा ,और   संसार में विचरण करने के लिए मध्य मार्ग का प्रयोग करना चाहिए ,भावना में बहकर जीवन नहीं जीना चाहिए  संसार में  इतने दुःख  हो गए है  कि और उनके आगे  कुछ दिखाई  ही नहीं देता है  और ना ही सब कुछ छोड़कर  जंगलों में जाना कुछ ठीक नहीं है  , सब कुछ छोड़ कर चले जाना  दुखो का हल नहीं  है  हमें तो गृहस्त और  संसार में रहकर यह जीवन जीना चाहिए क्योंकि ,ना तो हम रिश्ते -नाते छोड़ सकते है  न ही इन  रिस्तो से दूर होकर   सुखी रह सकते हैं और  हमे परिवार में रह कर जीवन जीना होगा , जो मनुष्य परिवार में रहकर जीवन जीता है वह सही मायनो में दुखो को हरा  रहा है 

 कि लोग दुखे के कारण चार महासागरों के जल से भी अधिक आंसू बहा चुके हैं इस प्रकार दुखी तो सारा संसार है ऐसा कौन सा घर है  जो दुखी नहीं है दुखी तो सभी है चाहे वे धन से दुखी है ,या फिर मन से ,या कोई रिस्तो से दुखी है ,और कोई दुश्मन से दुखी है ,आज के समय में दुखी सब है  और यह सभी लोग  अपनी अज्ञानता वश से दुखी है। यदि अपनी थोड़ी सी समझ यह सोचने में लगा दे तो  किसी केअशब्द  बोलने या या किसी के,लड़ने से क्या फर्क पड़ता है   तो उस व्यक्ति का  जीवन  सुखी और खुशहाल बन सकते हैं जिसने जीवन के जीने का  फर्मूला समझ लिया उसने पूरा जीवन ख़ुशी में बिता दिया।  मानव  संसार में ऐसे रहे जैसे- एक नौका  पानी में तैरती है जब तक उस नौका का मनोबल बैलेंस बना है  अगर वही नौका में पानी  उसके अंदर आ जाए तो, नौका  डूबने  लगती है इसी  तरह से हम मनुष्यो  का जीवन भी ऐसा ही होता है अगर हम जीवन में नौका की तरह  चले तो जीवन में दुखो से मुक्ति  मिल सकती है 

इसलिए जीवन में दुखों का दुखों से मुक्ति पाना बहुत ही जरूरी है और जीवन जीने के लिए सजग रहना बहुत ही जरुरी है  

एक व्यक्ति की दुखों की कहानी

एक शहर में एक व्यक्ति रहता था उसके घर में बहुत क्लेश हो रहा था  घर पर आता तो कही  उसकी पत्नी उसे अशब्द बोलती , आफिश जाता तो उसका बोस उसे बोलता ,वह अपनी जिंदगी से तंग हो गया था  एक दिन वह दुखी होकर घर से भाग गया  है और वह जाकर एक नदी के किनारे बैठा गया वह बहुत परेशान हो गया था अपने जीवन से ,उसने सोचा की मर जाउगा तो सब ठीक हो जाएगा ,यह सब सोच ही रह था तभी  उसी के ठीक पास में एक बूढ़ी औरत आकर  बैठ गयी , उस बूढ़ी औरत ने उस व्यक्ति से पूछा बेटा क्या हुआ है तुम्हे  , तुम इतने परेशान क्यों लग रहे हो ,तुम इतने उदास क्यों हो , उस व्यक्ति ने बूढ़ी औरत को कोई जवाब नहीं दिया। बूढ़ी औरत ने फिर पूछा क्या हुआ बेटा ,फिर उस व्यक्ति ने जवाब दिया की दादी मेरी  जिंदगी में बहुत ही दुःख है घर पे आता हु तो पत्नी अशब्द बोलती है ,और ऑफिस जाता हु तो बोस दो का तीन सुनाता है मै  अपनी जिंदगी से तंग हो गया  हु इस लिए मै अपना घर - परिवार छोड़ कर भाग आया हु,  दुखो का सामना करना अब मेरे बस की बात नहीं है   दादी में तंग हो गया हूं अपनी जिंदगी से,  लगता है जैसे जीवन दुखों का ही दूसरा घर बन गया है  कही आपस में  पत्नी और माँ  झगड़ते है ,बाहर दोस्त  तंग करते हैं कोई किसी की चुगली करता है, तो कोई किसी से  जलन की भावना रखता है समझ में नहीं आता क्या करूं, जी चाहता है कि आत्महत्या कर लूं आखिर क्या लाभ ऐसी जिंदगी का जहां प्यार नहीं है यह कहते-कहते उसकी  आंखों में आंसू आ गये 

उस बूढ़ी औरत ने बोला दुखी  को हर कहीं दुखी दिखाई देता है बेटा एक दिन घास पर ओस की बुँदे  चमक रही थी  एक व्यक्ति आया और मुस्कुरा कर बोला चाँदी के  मोती ही  मोती बिखरे है जमीन पर , तभी एक और व्यक्ति आया वह पर उसके बाल  उलझे हुए थे कुर्ते पर सलवटे ही सिलवटें पड़ी थी दाढ़ी बढ़ी हुई थी और आंखें सूजी  हुई थी वह उस ओस की बूंदो को  देखकर बोलने  लगा ,लगता है मेरी तरह रात भर आसमान भी रोया है वही खास बात यह  थी की  वही दूसरी ओर  एक व्यक्ति  को चांदी के मोती लगे तो दूसरे को आंखों से टपके आंसू आखिर अंतर कहा था अंतर क्या था उनके देखने के नजरिया में ,   देखने के नजरिए में पहला खुश था तो दूसरा दुखी था तुमने जीवन को दूसरे आदमी के नजरिए से देखा,तुमने   दूसरे भाव से देखा है यह दृष्टिकोण अधूरा है कल आना मैं तुम्हें जीवन जीने का रहस्य  बताऊंगी अब तुम अपने घर जाओ  तुम्हरे घर वाले परेशान हो रहे होंगे उसने बोला  ठीक है दादी 

अगले दिन वह व्यक्ति प्रातः जल्दी उठकर उस बूढ़ी औरत के पास पहुंच गया बूढ़ी औरत बोली जीवन जीने की कला सीखने  आए हो,  उसने उत्तर दिया हा   बूढ़ी औरत ने बोला क्या तुमने नदी के किनारे लगा सूखा पेड़    देखा है वह बोली  उसी सूखे पेड़   के पास जाओ और जाकर जितनी प्रार्थना कर सकते हो करो  ,उस सूखे पेड़ की   तारीफ  करो,और बोलना कितने  तुम विशाल हो ,

   वह आदमी नदी की तरफ चला गया वहां कोई नहीं था   पानी से भरी   नदी  थी उसने नदी में स्नान किया और उस सूखे  पेड़  की ओर चला गया पहले सूखे पेड़  के आगे सिर झुकाकर  कहने लगा है सूखे पेड़  तुम महान हो तुम्हें ना कोई आंधी उखाड़ सके और ना ही कोई तूफान उखाड़  सकता है तुम्हारी जड़े पताल तक है सूखे पत्तो  से बना तुम्हारा शरीर विशाल  बरगद  से भी सुंदर है इसी तरह वह उस सूखे पेड़ की  प्रशंसा करता रहा शाम हुई तो वह  घर चला गया

अगले दिन सुबह- सुबह वह  फिर बूढ़ी औरत के पास गया  बूढ़ी औरत बोली कल जैसे कहा था वैसे किया ना तुमने हां माताजी मैंने वैसे ही किया पूरा दिन उस सूखे पेड़ की  स्तुति करता रहा और उसकी खूब तारीफ भी किया बूढ़ी औरत बोली ठीक है  

   बूढ़ी औरत ने कहा आज फिर जाओ आज तुम्हे  दूसरा काम करना है उस व्यक्ति ने बोला क्या आज भी उसकी तारीफ  करनी है, बूढ़ी औरत बोली नहीं आज तो तुम्हें उस सूखे  पेड़  को बुरा -भला   कहना है  उस सूखे पेड़ को जाकर अपशब्द बोल सकते हो , तभी वह व्यक्ति बोला जिसकी कल प्रशंसा की आज उसे अपशब्द  कैसे बोल सकता हु , मेरी तो समझ में नहीं आ रहा, बूढ़ी औरत बोली जिसको आप जानते उसको अपशब्द  नहीं बोलते हो  जिसकी कभी प्रशंसा की हो ,यह सुनकर वह व्यक्ति वहाँ से चला गया

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 उस नदी के किनारे की ओर चला गया आज वह नहाया भी नहीं बस सीधा सूखे पेड़  के सामने खड़ा हो गया और उसे खड़ी -खोटी सुनाने लगा  , तुम्हारा रंग कितना बुरा है  सूखे पेड़ की तरह खड़े हो ना छाया है ना फल है क्यों जगह घेर  रखी है,उस व्यक्ति के मन में जो आया वह बोलता चला गया  और शाम को वापस  घर पर आ गया

फिर अगले दिन  वह व्यक्ति उस बूढ़ी औरत के पास पहुंचा   माताजी ने बोला जिंदगी जीने की कला सीख गए  बेटा ,उस व्यक्ति ने बोला क्या है जीने की कला उसने पूछा ,बूढ़ी औरत बोली  जब तुम पहली बार उस सूखे  पेड़  के पास से तारीफ करके  लौटे थे तो क्या वह खुश हुआ था  और क्या तुम्हें कोई  इनाम दिया  था, उस व्यक्ति ने बोला जी नहीं,  बूढ़ी औरत बोली जब तुम कल उस सूखे पेड़ को  कोसते हुए अपशब्द बोल कर आए थे  क्या उस सूखे पेड़  ने नफरत दिखाई थी अथवा किसी प्रकार का वार किया था,उस व्यक्ति ने बोला  जी नहीं वह 

बस बेटा इसी तरह जीवन जिया करो उस सूखे पेड़ की  तरह हो जाओ, तारीफ  सुनाने पर फूले  नहीं फूलों , और अपशब्द सुनाने पर क्रोध ना करो  किसी के कहने से कुछ नहीं होता जो तुम हो वह हो ,अपने आप को पहचानो अपनी शक्ति को क्षमता को, अपनी सीमाओं को पहचानो फिर तुम्हें कोई दुखी या परेशान नहीं कर सकता निर्लिप्त भाव से जीवन जिओगे तो सभी सुख तुम्हारे पीछे आएंगे

यही है जीवन जीने की कला है  अपने आप में खुश रहो किसी के कुछ भी कहने पर अपने मन का सुख -चैन न खोओ।  अपने मन का  रिमोट कंट्रोल किसी और के हाथ में ना जाने दो  कि वह अपशब्दों का बटन दबाएं तो आप दुखी हो जाते हैं वह प्रशंसा  का बटन दबाएं तो आप खुश हो गए अपने आप पर अपना नियंत्रण रखें, दुनिया में रहते हुए भी इसका प्रभाव ग्रहण ना करें बस सुख से जियो और औरों को भी जीने दो

इस कहानी से क्या सिखने को मिला 

दोस्तों इस कहानी  से  हमे यही सीख  मिलती है किसे के कहने से  कोई फर्क नहीं पड़ना  चाहिए  जीवन में , जीवन तो एक बार मिला ,इस जीवन को ऐसे ही न व्यर्थ करे , दुखो से भरा  जीवन  लोहे की बेड़ियों के सामान  माना  जाता है कभी अपने आप पर दुखको  आवी  न होने दे , दुःख तो  सभी के जीवन  में थोड़ा बहुत होता है ,लेकिन दुखो में रह कर  जीना, जीवन जीने की कला सीखा देता  है 
अगर दोस्तों यह मोटिवेशनल स्टोरी दुःख का सामना कैसे करे Dukho ka samana kaise kare  आपको कैसी लगी अगर अच्छी लगी हो तो मुझे कमेंट करे और बातये यह आपको कैसी लगी  आपका  समय बहुत कीमती है  इस मोटिवेशनल स्टोरी पढ़ने के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद। 


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