ख़ुशी क्या है ? मन में उत्साह , उल्लास ,एक उमंग आकाश को छूने की ,किसी चीज को पाने की ,इत्यादी , यह सब ख़ुशी की तरंगे है ख़ुशी का नाम सुनते ही उदास चेहरे पर रौनक अ जाती है सुख की चमक अ जाती है कौन है जो ख़ुशी नहीं होना चाहता ? हर कोई जीवन और अपने घर में ख़ुशी बनाये रखना चाहते है और कोई कही भी हो अपने घर से ज्यादा समय तक दूर नहीं रह सकता और अपने घर में ही सुख शांति मिलती है ख़ुशी के लिए किसी वस्तु का होना जरूरी नहीं है कभी - कभी तो हम यह नहीं जानते की हमें क्या चाहिए बस कमी सी महसूस होती है जिसके कारण हम जीने का पूरा आनंद नहीं उठा पाते है सब कुछ होते हुए भी मन उदास रहता है
आखिर क्या कारण है की हम ख़ुशी से दूर है आइये जानते है
आपने कभी सोचा है की आखिर क्या कारण है की हम ख़ुशी से दूर रहते है क्यों मन में एक बेचैनी सी रहती है क्यों मन में अनजानी सी कमी रहती है जैसे कुछ विशेष खो गया है आखिर वजह क्या है
कही बात इतनी तो नहीं की हमें शिकायत करने की आदत पड़ गयी है ?कोई न कोई गुत्थी उलझाए - सुलझाए बिना हमें चैन नहीं आता ,जो आप के पास है आपको उसकी कद्र नहीं जो नहीं है उस के लिए तड़पते हो ,अगर हमें यह ज्ञात हो जाए की जीने के लिए तरह -तरह की वस्तुओ की जरूरत नहीं ,भीड़ चाहे जीतनी मर्जी जमा कर ले अपने आस - पास , आखिर तो साथ निभाने वाले दो -चार रिश्ते ही होते है लेकिन इन रिस्तो की कद्र अब दिनों के दिन कम होती जा रही जैसे- लोग सोशल मिडिया पर दोस्त बना लेते है उनसे बाते करते है लेकिन अपने घर में बाते करना मनो एक बोझ के सामान हो जाता है लोग इंसानो का इस्तेमाल करते है , और चीजों से प्यार करते है तो क्या लाभ है नफ़रत करने से ? किस लिए लड़ाई - झगड़ा क्यों आपस में तकरार ? क्यों अपने बहुमूल्य रिस्तो को छोटी -छोटी बातो के लिए थोड़ देते हो हम सभी चाहते तो हमारे लिए ख़ुशी है परतु उसे ढूढ रहे है गलत जगह पर है कभी भी दौलत रिस्तो से कीमती नहीं होती है रिस्तो में कोई लोभ नहीं होता है जिन्होंने रिस्तो की कदर समझ ली ख़ुशी वही मिल जायेगी ,दौलत से दुनिया की वह कीमती वस्तु खरीद लेगे, लेकिन वो खुशी नहीं मिलेगी जैसे की
एक बार एक लालची राजा था जिसका पूरा परिवार था एक बेटी और पत्नी थी राजा को वरदान मिला था वह किसी वास्तु को छू लेगा तो वह सोने की हो जाएगी , यह सुनकर वह बहुत खुश हुआ उसने अपने महल की हर एक वस्तु को छुआ और उसे सोने का बना लिया ,केवल वह राजा अपने परिवार को छूने के लिए तरस गया ,उसके अपने जिन्हे वह बस दूर से देख सकता था परन्तु छू नहीं सकता था , एक दिन अचानक उसकी बेटी भागी - भागी आयी और अपने पिता से लिपट गयी क्योकि वह बच्ची थी और वह अपने पिता से बहुत प्यार करती थी और उसे कुछ नहीं पता था वह अपने पिता से दूर नहीं रह जैसे ही उसने राजा को छुआ सोने की बन गई राजा देखता ही रह गया अब वह अपनी मूर्खता पर पछता रहा है
बेटी को सोने की मूर्ति बनी देख कर उसे रिस्तो की समझ आयी की सोना - चाँदी रिस्तो से ज्यादा कीमती नहीं है ,यह दौलत - शोहरत ही सब कुछ नहीं होती है इनसे भी कीमती है प्यार भरे रिश्ते - नाते , हमारी भावनाये , जिनकी कोई कीमत नहीं नापी जा सकती ,
अब राजा ने भगवान् से प्रार्थना की ,की उसे यह सोना ,यह दौलत नहीं चाहिए , उसे अपना परिवार चाहिए ,और अपने परिवार का प्यार चाहिए
अब राजा को दौलत और रिस्तो के बीच का अंतर पता चला और यह भी की आपस में प्यार और मुलजुल कर रहने में जो सच्ची ख़ुशी है वह और कही नहीं है
ख़ुशी बाटने से ही बढ़ती है , तो क्यों न ऐसे बढ़ावा दे किसी को छोटी ख़ुशी देने से हमारे मन को कितना सुकून मिलता है , और कितना आनंद मिलेगा , हम अनुमान भी नहीं लगा सकते प्राय : देखा जा सकता है कि इंसान अपने दुःख से जितना दुखी नहीं जितना दुसरो की ख़ुशी से दुखी होता है किसी की तरक्की देखकर जलन करने की बजाय कुछ शिक्षा व् पेरणा ग्रहण करे और स्वयं भी प्रगति की ओर आगे बढे , अपनी ख़ुशी में दुसरो को शामिल करे और दुसरो की ख़ुशी में दिल से शामिल हो इस तरह हम अपनी ख़ुशी को दुगुना कर सकते है और दुसरो की ख़ुशी को अपना मान कर दुगुना आनंद ले सकते है
ये छोटी- छोटी खुशिया ही हमारे जीवन का अंग है इन्हे यूँ ही जाने न दे क्योकि ये जल्दी - जल्दी चली जाती है परन्तु आती इतनी जल्दी नहीं है हमे इन्हे संभाल कर रखना चाहिए , छोटी सी छोटी बात में भी ढुंढी जा सकती है जैसा हम सोचते है , वैसे ही हमारा देखने का नजरिया होता है
जीवन को जीने का एक तरीका होना चाहिए , एक रंग होना चाहिये , बेरंग और बेढंगी जिंदगी जीने क्या लाभ ? यदि हमें जिंदगी न जीने का अंदाज हो जाए तो सभी मुश्किलें हल हो जायेगी जबकि अब हमें ख़ुशी भी ख़ुशी नहीं देती छोटी -मोटी ख़ुशी के ओर हमारा ध्यान ही नहीं जाता लालच और जलन की भावना इतनी बढ़ गयी है की खुशिया इतनी नीचे दब गयी है इसलिए खुशियो का एहसास ही खो सा गया है
यह सच है की हमे जो ख़ुशी बचपन में एक छोटे- से मिटटी के खिलौने से प्राप्त हो जाती थी आज बड़ी से बड़ी वस्तु से नहीं मिलती है एक वस्तु मिलने के बाद दूसरे की पाने की लालसा होती है और हम परेशान हो जाते ही एक वस्तु के मिलने पर उतने खुश नहीं रहते जितने दूसरे वस्तु को पाने में दुखी होते है
यदि हमें खोई हुई ख़ुशी को जीवन में दोबारा लाना चाहते है , तो हमें इन्हे स्वयं में ही तलाश करना होगा जैसे की हम भोजन बनाते है वह भोजन अपने परिवार ,दोस्त में बाँट कर खाते है अगर सभी को थोड़ा -थोड़ा भोजन मिला हो जो भोजन बाँट कर खाने में ख़ुशी मिलती है वह अकेले खाने में नहीं मिलती है
ख़ुशी हमारे हर छोटी सी छोटी बात में होती है बस हमें उसे समझने की जरूरत है
जितना हो सके दुसरो को ख़ुशी दो ,दुसरो को खुशिया देने से आपको ख़ुशी अपने आप मिल जाएगी
यह सारी दुनिया खुशियों से भरी पड़ी है हर बात में हसी है और हर बात में ख़ुशी है अंतर केवल हमारे सोचने और समझने में है यदि हम चाहे तो अपने सोच और समझ से अपनी खुशियों को संचित कर ले सभी को अपना बनाते चले और ,दुसरो से मिलकर खुशिया और गम बाटे , क्योकि अपने बहुत लोगो से सुना होगा खुशिया बांटने से दुगनी हो जाती है और गम बाटने से आधा हो जाता है
जीवन में जितना हो सके दुसरो को खुशिया बांटो और उससे आपको अद्भुत आनंद की प्राप्ति होगी और आपके जीवन में खुशिया हमेशा बनी रहेगी जीवन के पल जितना हो सके ख़ुशी से जिओ ,जीवन में गम हमेशा रहता है हर छोटे से छोटे रूप में खुशियों को ढूढो और पहचानो तभी आपका जीवन में खुशियों का आजमन होगा
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