नमस्कार दोस्तो Motivationl story को पढ़ने से हम अपनी मंजिल को कैसे पा सकते है और हमे अपने जीवन मे मंजिल पाने के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है जो हमारे जीवन में बेहद महत्वपूर्ण है हर व्यक्ति के जीवन मे मंजिल दो तरह की होती है पहली किसी चीज में सफलता पाना और दूसरी जीवन के पड़ाव में अपनी मंजिल कैसे पा सकते हैं दोस्तों आज मैं आपको इस लेख के माध्यम से बताऊंगी की कि जीवन में हम अपनी मंजिल कैसे पा सकते हैं
यह जीवन परमात्मा से मिला हुआ मूल्यवान है जीवन मे त्याग और दान करना बहुत ही जरूरी होता है इससे हमारे जीवन में पापों का बोझ कम हो जाता है सभी व्यक्ति को अपने -अपने सत्य मार्ग तक पहुंचने के लिए बहुत सारे जरूरी उपाय को करना पड़ता है जीवन में साथ में कई बातों का भी ध्यान रखना पड़ता है जिससे हमारा जीवन सत्य मार्ग तक मंजिल को पाने मे सफल हो जाता है और हमें अपने सत्य मार्ग को ही चुनना चाहिए जिससे हमारा जीवन दुखों से ना भरा रहे और हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे कि हमारे लिए सबसे जरूरी क्या है हम अपनी मंजिल कैसे पा सकते हैं
Motivationl story : गुरु और शिष्य की प्रेरक कथा
वही दूसरी तरफ मदन जिसकी बोरी बिल्कुल खाली नही हुई वह भी सत्य मार्ग तक पहुंच गया
और दोनों शिष्य अपने गुरु के पास जाते हैं वहीं दूसरी तरफ मदन की बोरी बिल्कुल खाली नहीं हुई थी चन्दर की बोरी बिल्कुल खाली हो गई थी मदन चन्दर का मजाक उड़ाने लगा बोला गुरु जी यह तो कुछ नहीं लेकर आया इसने तो आपका दिया हुआ सारा भोजन जरूरत मंदो को बाँट दिया और उसे उसके बदले मे कुछ मिला ही नही
मदन बोला मै ही हु आपका आज्ञाकारी शिष्य जो आपके कहने के अनुसार काम किया है मदन बहुत खुश होने लगा की वह गुरु जी के नक्से कदम पर चलता चला गया
तभी गुरु ने बताया की मेरा आज्ञाकारी शिष्य चन्दर है जिसने अपनी सोच समझ से मेरे बातो पर गौर किया है
मदन बोला आपके कहने के अनुसार मैंने अपनी बोरी मे किसी भी जरूरतमंद की मदद नही की क्योकि आपने कहा था की जिसको भी खाने के लिए देना उसके बदले कुछ उनसे लेना है
तभी गुरु ने उतर दिया जैसे किसी ने कहा है
जब प्यासे को पानी पिलाया नही तो
तो अमृत पिलाने से क्या फायदा,
जब भूखे को खाना खिलाया नही
तो व्यंजन खिलाने का क्या फायदा
इस श्लोक का मतलब यह है की जब हमने किसी प्यास से व्याकुल व्यक्ति को पानी नही पिलाया, जब उस प्यासे को पानी की बहुत जरूरत थी, तो बाद मे अमृत पिलाने से क्या फायदा है,
उसी तरह जब भूख से तड़प रहे व्यक्ति को खाना खिलाया नही, बाद मे अनेक तरह के व्यंजन खिलाने से क्या फायदा जब हमने उस व्यक्ति की भूख नहीं मिटाई तो हम उस व्यक्ति को अनेक तरह के व्यंजन खिलाने से क्या फायदा हो सकता
इसी तरह से जरूरतमंदों की मदद ना करके बाद में पछताने से क्या फायदा
गुरु जी ने मदन को बताया की जीवन के खत्म होने के बाद मनुष्य के साथ कुछ नही जाता है जो वह अपना कर्म करता है उसी के हिसाब से उसके जीवन मे मोक्ष की प्राप्ति होती है और उस सही तरह से सत्य मार्ग जाने का अवसर मिलता है
और हीरे मोती से बढ़कर आशीर्वाद है आशीर्वाद से तो दुनिया की हर खुशी मिलती है अगर जीवन में बड़े बुजुर्गों या किसी का आशीर्वाद ना रहे तो आपका जीवन जीना व्यर्थ है जीवन जीने का सही समय दान पुण्य करो जरूरतमंदों की जरूरत पूरी करो और देने वाले बनो, क्योकि देने वाला हमेशा खुशी और सुकून का जीवन जीता है
और दुनिया मे बहुत से लोग है जो भी कुछ किसी को देते है और वह आशा रखते है की उसके बदले उसे कुछ मिलेगा
चन्दन ने तो अपना कर्म किया लेकिन उसने फल की इच्छा नही की उसे क्या मिलेगा यह उसने अपने दिमाग मे भी नही लाया
गुरु ने बोला मेरे प्रश्न का उत्तर ये नही था की जरूरत मंदो की जरूरत पूरी करने के बाद वह तुम्हे कोई कीमती सामान दे बल्कि कीमती समान या था की जो लोग उस खाना खाने के बाद जो उनके दिल से तुम्हारे लिये दुआ निकलती है वही है जीवन का कीमती समान
और चंदन सही मयनो मे अपनी मंजिल को पा लिया क्योकि धन से जीवन मे सुकून नही मिलता है धन के साथ -साथ कर्म भी करना बहुत जरूरी है जीवन मे त्याग दूसरा नाम है जिसने अपने जीवन मे लोभ, दुष्कर्म अत्याचार आदि सभी गलत विचारो को अपने अंदर से निकाल दिया उसी मनुष्य को जीवन मे अपनी मंजिल को पा सकता है
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