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जैसी करनी वैसी भरनी कहानी Jaisi karni vaisi bharni

  आज के समय में बहुत ऐसे व्यक्ति भी है जो अपना फायदे करने  के लिए  दुसरो को भी धोखा दे सकते है आज कल हम  किसी के साथ  जैसा  व्यवहार  करते है कल  कही ऐसा न हो की  कोई  हमारे  साथ भी  ऐसा ही व्यवहार  करने लगे, यदि हम दुसरो के प्रति छल -कपट छोड़कर ,पहल करे किसी के काम आने की  किसी की सहायता  करने की तो  कोई ऐसा नहीं होगा जो हमारे  काम आये सभी के साथ वैसा ही व्यवहार करे ,जैसा  हम  अपने प्रति  अपेक्षा  करते है ,कोई भी व्यक्ति  किसी  से धोखे की  उम्मीद  नहीं करता ,लेकिन स्वयं  दुसरो को धोखा  देता है ,किसी का  दिल  दुखाता  है और बदले में उनसे  बदुआ ये  लेता है ,क्योकि  जैसा  बीज  बोओगे ,वैसा ही फल  कटाना होगा ,और हम केवल अपने आप को अंदर से  जानते है की हमारा मन  अंदर से कितना उत्तम  है ,अगर हम किसी के साथ  बुरा करते है तो ,तो उस वक्त नहीं ,आगे चल कर उसका दंड हमे भगवान्  से मिलेगा ,ऐसे लिए कहते जैसी करनी  वैसी भरनी - वह कर्म हमारे समक्ष अ  के रहेगा- जैसा की इनके साथ हुआ 

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जैसी करनी वैसी भरनी -Jaisi Karni Vaisi Bharni

दो मित्र की कहानी -

एक बार एक  शहर में भोला  और सत्या  नाम के दो मित्र  रहते थे उन  दोनों में बहुत प्यार  था वह एक ही कम्पनी में साथ में  काम करते थे कम्पनी   बहुत घाटे में चल रही थी एक दिन उस कम्पनी के मालिक ने कहा की  ,मै अपनी कम्पनी बेचना  चाहता हु ,यह बात सुनकर  सत्या ने  भोला से कहा अगर हम दोनों मिलकर  ये कम्पनी खरीद ले,तो ये  कम्पनी हमारी हो जायेगी  सत्या  की बात सुनकर भोला ने कहा ठीक है खरीद लेते है कम्पनी , कम्पनी के मालिक  ने कम्पनी  उन दोनों के नाम कर दी  वह दोनों अपनी कम्पनी के प्रति दिन -रात मेहनत  करने लगे , बहुत काम ही समय में उनकी कम्पनी जोरो- सोरो से चलने लगी ,ऐसे ही कुछ  समय बीत जाने  के बाद सत्या के मन में लालच ने जन्म ले लिया , एक दिन  उसके  मन में विचार आया की क्यों  न मै  अपने मित्र भोला को मार दू  इसके बाद सब कुछ मेरा  हो जायेगा ,एक दिन धोखे  से  अपने मित्र भोला  को मार दिया ,और उसके हिस्से का सारा  धन और  कम्पनी  अपने नाम  करवा लिया ,

समय बीतता  चला गया उसने अपना पाप छिपाये  रखा ,कुछ समय  बाद ही उसके  घर  पर एक पुत्र  ने जन्म  लिया  ,सत्या  बहुत खुश था ,और कुछ समय बीत जाने के बाद उसका पुत्र अब 10  साल  का हो गया था   वह अपने पुत्र से बहुत प्यार  करता  था अचानक  कुछ  दिनों बाद उसके पुत्र की तबियत  ख़राब होने  लगी  वह बहुत बीमार  रहने  लगा  तरह - तरह  के इलाज करवाने के पर भी कोई अंतर नहीं पड़ा , सत्या अंदर से बहुत  टूट  गया  था उसकी इकलौती  संतान  को बचने की कोई आशा नहीं थी उसका  मन  काम में  भी  नहीं लगता  था ,इधर - उधर उसका इलाज करवा कर उसका  सारा  कमाया धन कम होने  लगा ,और वह धीरे - धीरे वह  कंगाल  होने लगा इकलौते पुत्र  का रोग देखकर ,उसका पिता भी  रोग -ग्रस्त  होने लगा ,और अब वह पूरी तरह से कंगाल  हो चूका था 

एक दिन उसके पुत्र का अंतिम  समय  पास आया ,तो उसने अपने पिता को बुलाकर कहा  ,"अब आप पूरी तरह से कंगाल  हो चुके है ,मेरा  बदला  पूरा हो चुका है  "सत्या ने हैरान  होकर अपने पुत्र से पूछा "तुम यह क्या कह रहे हो ? कौन सा बदला ?मैंने  तो तुम्हे बहुत प्यार से पाला है ,और तुम्हे ठीक करने के लिए मैंने अपनी पूरी जिंदगी भर की  दौलत तुम्हारे ऊपर कुर्बान कर दी ,तुम्हारे इलाज के लिए सब कुछ बेच  डाला ,तुम यह क्या कह रहे हो ?  तब  सत्या के  पुत्र ने बोला " मै  आपका  वही मित्र  भोला  हु जिसे आपने दौलत के लालच में आकर  धोखे  से मार डाला था  ,और मेरा सब कुछ छीन लिया था ,मै  अपना बदला लेने ही तुम्हारे  घर में आया  था ,अब मेरा काम पूरा हुआ और मैं  जा रहा  हु  आपको बर्बाद  करके ,ऐसे कहने पर उस बच्चे  की मौत हो गयी ,सत्या यह  सुनकर सब दंग  रह गया ,उसके  दिल और दिमाग  पर  बहुत गहरा सदमा पंहुचा ,बहुत देर  लगी उसे समझने में की जैसी करनी वैसी भरनी  .

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इस  कहानी सच्चाई कुछ भी हो ,परन्तु यह अटल सच्चाई है की संसार की नजर से छिपाकर तो  पाप  हो सकता  है ,परन्तु भगवान् से कोई पाप छिप नहीं सकता है और न ही भगवान् के न्याय से बच  सकता है 

यदि हमें ईश्वर का भय है और यह यह बात समझ में आ गयी है की दुःख देने से दुःख  मिलता है तो हम कभी  गलत काम नहीं करेंगे, किसी का दिल नहीं दुखायेंगे ,और  किसी की बद्दुआ  नहीं  लेंगे ,क्योकि  की बहुत कष्टकारी  होता है जहा तक हो सके  दुसरो से आशीर्वाद व्  शुभकामनाये  ही ले  ,जो भी बोले सोच समझ कर बोले ,की कही आपके बोल  सच हो गए तो क्या होगा ?

जब हम क्रोध  में  होते है तो हम ये नहीं सोचते की हम क्या बोल रहे है बस बोले जाते है हम यह भी नहीं सोचते की हम कितना  कड़वा शब्द  बोल रहे है 

हम अक्सर यह भूल  जाते है की अगर हम अपनों दुःख  पहुँचायेंगे  तो दुःख तो हमे  होगा  क्योकि दुःख देने पर दुःख  की मिलता है क्योकि हम उन्हें  प्यार करते है दिल को चीर कर के तो किसी को दिखाया  नहीं जा सकता है प्यार तो जताने से ही पता  चलता है 

इसलिए  दुसरो को सुधारने से पहले अपने आप में सुधार करो  की हमें किसी के प्रति छल -कपट नहीं करना है  जैसे -एक बार एक बकरी और कुत्ते में दौड़ लगाने  की प्रतियोगिता  रखी  गयी  कुत्ता तो तेज दौड़ता  था  लेकिन बकरी  बहुत धीरे  दौड़ती थी  बकरी रोज दौड़ने की कोशिश  करती थी वह प्रतियोगिता के  प्रति रोजाना 1 -2  किलोमीटर तक दौड़ती थी उसकी यह लगन  देखकर कुत्ते को डर लगने लगा की  बकरी प्रतियोगिता में  जीत जाएगी  और मै  हार जाऊंगा  यह सब देखकर उसने  निर्णय  लिया की मैं  इसे हरा  दूँगा। जिस रास्ते पर प्रतियोगिता  होने वाली थी उसने उस पर गड्ढा  खोद दिया और उस गड्ढे को घास से ढक  दिया और आस -पास की जगह को भी ढक दिया और  पहचान के लिए एक लकड़ी कड़ी कर दी। 

और अगले दिन   प्रतियोगिता रखी गयी  और कुत्ता और बकरी में दौड़ शुरू हो गयी ,कुत्ता तो मन ही मन खुश हो रहा था की जीतूँगा तो मै  ही क्योकि वह उस तरफ दौड़ रहा था जिस तरफ गड्ढा नहीं था कुत्ता  और बकरी दौड़ में साथ-साथ  चल रहे थे ,और गड्ढे  वाली  जगह सामने आ गयी थी और वह बड़ी चतुराई के साथ गड्ढे के दूसरी तरफ से निकल रहा था  जिस तरफ उसने लकड़ी लगा रखी थी , हवा की वजह से लकड़ी दूसरी तरफ गिर गयी थी और उसे लगा की गड्ढा वही है और अचानक वह गड्ढे में गिर गया ,

और जोर -जोर से चिल्लाने लगा बचाओ ,तभी बकरी गड्ढे के पास पहुंच गयी ,बकरी ने पूछा तुम यहाँ कैसे गिर गए ,कल तक तो ये गड्ढा  नहीं था यहाँ पर तो पहले गड्ढा नही था  ये तुमने किया है न ,उसने जबाब दिया की मैंने  तुम्हारे लिए गड्ढा खोदा था और  मैं ही इसे  में   गिर गया हु बकरी ने बोला  इसी को कहते जैसी करनी वैसी भरनी 

बकरी ने बोला  जो -      

जो दुसरो के लिए  गड्ढा खोदता है 

वह खुद उसी गड्ढे में  गिरता

इसी तरह दोस्तों  हमारा जीवन हमारे कर्म  पर  निर्भर करता है हमारा आने वाला भविष्य  भी जैसा हम दुसरो के साथ व्यवहार करेंगे  तो भगवान्  हमें वैसा ही फल देंगे  ,अगर आपका तरीका सही  है किसी चीज को पाने की, तो आप को परेशान होने की जरूर ता नहीं आप  अपना कर्म करिये  फल  की इच्छा  मत रखिये ,क्योकि फल आपके कर्म पर निर्भर करता है  जैसा बीज बोओगे वैसा  ही फल काटोगे , जितना  हो सके  दुसरो से  प्यार से रहिये और पूरी ईमानदारी से अपना  काम  करिये ,अगर आप अपने अंदर किसी को नुकसान   पहुंचाने का ख्याल रखते हो तो ,आपको वैसा ही मिलेगा  जिसे कहते है जैसी करनी वैसी भरनी।  क्योकि  भला व्यक्ति सज्जन  माना जाता है  दुसरो का बुरा करने मे दुनिया नही सोचती लेकिन बुरा करना हो तो सबसे आगे नजर आते है  कर्म करने वाले फल की इच्छा नही रखते है 

दोस्तो अगर इस कहानी से आपको  कैसी लगी  , अगर आपको अच्छी लगी तो मुझे कॉमेंट करे 



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