Advertisement

जिंदगी मे क्या खोया और क्या पाया-what is lost and what is found in life

जीवन तो सभी जीते है लेकिन जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया  ,ये तो जिनके साथ गुजरा  उनके आलावा  कोई नहीं जानता है जिंदगी तो जीने का  दूसरा नाम है  कोई इस ख़ास पल को  बहुत बारीकी से जीता है और कोई ऐसे कुछ गलतियो की वजह से ऐसे मिले सुनहरे मौके को एक पल में खत्म  कर देता है दोस्तों आज हम इस लेख के माध्यम से जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया के बारे में  जानते है 

मोटिवेशन स्टोरी पढ़ने से हमे अपने अंदर की कमियों को दूर कर सकते है अगर हमारे साथ ऐसा हुआ है हम यह गलती दोबारा  नहीं करेंगे ,अगर यह गलती हम कर रहे है तो हम पहले से सजग हो जाये।  की यह करना हमारे लिया और हमारे  जीवन के लिए अच्छा नहीं है ,यह गलती हमें  दुखो की ओर  ले जा सकता है

 यह जो  इतना सुन्दर जीवन मिला है इसे हंस खेलकर बिताना चाहिए   लेकिन हमारे पास समय ही कहा इसलिए तो हमें पता ही नहीं चलता कि हमारे जीवन के कितने- कितने वर्ष यूं ही चले गये ,और  कब चले गए कब हमने क्या खोया और क्या पाया हमें पता ही नहीं चला कब बचपन से युवावस्था में आए और कब यह युवावस्था  भी चली गई और देखते ही देखते वृद्धावस्था भी आ गई कभी देखा नहीं स्वयं क्यों व्यस्त ही इतनी हो गए कि बहुत कीमती वर्ष कब बीत गए पता ही नहीं चला, लेकिन इससे एक बात  यह पता चलता है कि जीवन कितना छोटा है,और कितन अनमोल है  इसलिए शेष बचा हुआ समय भी यूं ही न व्यतीत हो जाए कुछ छड़ अथवा कुछ समय स्वयं के लिए भी निकाले या काम कभी समाप्त होने वाले नहीं है यह तो बढ़ते ही जाएंगे आपको इनके बीच में से ही समय निकालना होगा क्योंकि समय निकाले  जाने पर तो  हमारी खुशिया और हमारे अनमोल पलो का हमें ज्ञान हो जायेगा की यह हमारे लिया कितना महत्वपूर्ण है  

lifeappki

खुशी के छठ अनमोल होते हैं  ख़ुशी संसार की कोई सी भी दौलत से बड़ी नहीं होती और यह खुशी हमें केवल दौलत ही नहीं दे सकती हमारी जिंदगी के कुछ लम्हें ऐसे होते हैं ,जिन्हें हम हमेशा संभाल कर रखना चाहते है क्योंकि वह हमें सुकून देते हैं इसी प्रकार हम प्रकृतिक से अलग होकर भी नहीं रह सकते  क्योंकि यह हमारा आधार हैहमे अपने रिस्तो कितने कीमती है  यह  दुनिया के रिश्ते भी हमें खुशी देती हमारी जिंदगी में रंग  इसी से  भरे जाते  है  एक बंद कमरे में रहकर कोई व्यक्ति  कभी भी सुखी नहीं रह सकता चाहे उसके पास दुनिया की सारी  दौलत कदमो में क्यों ना पढ़ा हो ,जैसे ें महाशय ने किया 

जिंदगी मे क्या खोया और क्या पाया-what is lost and what is found in life -

एक शहर में एक होशियार चन्द   नाम का व्यक्ति रहता था जो वह एक  वकील था ,उसने एक सेठ बहादुर सिंह का केश लिया था वह उस सेठ बहादुर सिंह जी का केश जीत गया था उसी की ख़ुशी में बहादुर सिंह ने    घर  में खाने के लिए दावत रखी थी ,उस दावत में उसने अपने वकील होशियार चन्द   को भी बुलाया था उस दावत में और भी  बहुत से लोग वहां पर पहुंचे थे बातों -बातों में बात चली होशियार चन्द ने कहा की  मौत की सजा भयंकर होती है और  उम्र कैद की सजा उससे कही अच्छी होती है लेकिन उस सेठ बहादुर सिंह का कहना था की मौत की सजा भयंकर होती है उस सेठ का कहना  था कि पल -पल  मरने से अच्छा है एकदम फांसी पर लटकना  सही होगा वहीं पर  वकील होशियार चंद  भी खड़ा था, उसने अपनी राय दी कि वह सेठ जी के विचारों से सहमत नहीं है वकील होशियार चंद का कहने का का मतलब यह था की  मौत की सजा से बढ़िया उम्र कैद की सजा  है एक दम  से मरने से अच्छा है की , किसी भी व्यक्ति का  किसी तरह से जिंदा रहना, वकील ने बोला अच्छा है, और बेहतर है, उसकी यह बात सुनकर  सेठ को गुस्सा  आ गया और बोला बिल्कुल झूठ मै  आपकी इस बात से सहमत नहीं हु ,वकील और सेठ में बहस होने लगी,सेठ ने वकील से बोला ठीक है  मैं आप से 20 लाख की शर्त लगाता हूं कि तुम उम्र कैद  की सजा काटो ,यह तुम   नहीं काट सकते,  तुम  कैद की कोठरी में 5 साल भी नहीं रह सकते,सेठ बहादुर सिंह वकील के ऊपर हसने लगे ,और वहाँ  मौजूद सभी व्यक्ति हसने लगे , वकील होशियार चंद जोस   में आकर बोलने लगा ,की  मैं शर्त लगाता हूं की मै 5 साल तो क्या मैं 15 साल तक भी कैद में रह सकता हूं इस प्रकार बहस करते -करते दोनों में यह बात तय हो गई। 

वकील  होशियार  चन्द  को सेठ बहादुर सिंह  के घर के पीछे वाले  बगीचे की ओर एक भूमिगत कमरे में रखा गया ,उस कमरे में पढ़ने -लिखने हेतु अनेक  सामग्री वेद यंत्र तथा खाने-पीने की सामग्री रख दी गई और उसे किसी भी चीज की कमी नहीं थी वह उस कैद कोठरी में बिल्कुल  अकेला  था  उस वकील के कैद के पहला  वर्ष शुरू हो गया था  उस वकील को पहले साल अपनों से दूर रहने का  अकेलेपन का भयंकर कष्ट महसूस हुआ यह अपना दिल बहलाने के लिए  पियानो  बजाता और हल्की-फुल्की किताबें पढ़ता था 

उस वकील ने दूसरे वर्ष में  प्रणाली साहित्य की पुस्तकें पढ़ी ,और  तीसरे वर्ष को उसने खाने-पीने और सोने में बिताया, अगले वर्ष उसने भाषा फिलासफी और इतिहास के विषय की पुस्तकें पढ़ी, पांचवें वर्ष में उसने बाइबल केवल एक खंड पड़ा और अंतिम वर्षों में उसने ज्ञान के लगभग हर एक विषय से संबंधित पुस्तकें पढ़ें

और ये भी पढ़े -जैसी करनी  वैसी भरनी कहानी 

जीवन में खुशिया क्या है-

दुःख और सुख में अंतर क्या है

ऐसे- ऐसे बहुत समय बीतता गया अब 15 वर्ष व्यतीत हो गए अब वकील के  कैद का अंतिम दिन आ गया जब उसने रात के 12:00 बजे अपनी आजादी प्राप्त कर लेनी थी  सेठ बहादुर सिंह को उधर लाखों रुपए हार जाने के दुख से सेठ  बहुत ही परेशान था और  भगवान से कामना करने लगा की काश वही उस काली कोठरी में  वकील की मौत हो जाए , जिससे उस सेठ के हारे हुए 20 लाख   रुपए बच जाए, रात के समय वह चुपके से वकील की कोठरी में गया वह वकील को देखकर सहम  हो गया क्योंकि वकील एकदम कमजोर हो गया था और हड्डियों का एक बड़ा ढांचा लग रहा था उसका चेहरा पीला पड़ चुका था  ,जब सेठ  आया तो उसने देखा  वह मेज के पास बैठा  हुआ था   सेठ ने वकील को गला दबाकर मारने की योजना बनाई थी तक कि यह एक स्वाभाविक मौत लगे वह सेठ अंदर से रस्सी लेने गया, लालच से भरा  सेठ  वकील  को मारने ही वाला था की अचानक    तभी उसकी   नजर उस मेज पर पड़े कागज पर पड़ी,   सेठ  ने उसे उठाकर पढ़ा  तो , जिसमें लिखा हुआ था जो कुछ हुआ मैं उससे घृणा करता हूं और इससे सबूत के तौर पर मैं अपने सारे पैसे छोड़ रहा हूं  सिर्फ कैद की कोठरी को तोड़कर निश्चित समय से 5 मिनट पहले ही बाहर चला जाऊंग

 सेठ ने कागज वही मेज पर रखा उसने  अपने माथे को दीवार में लड़ाने लगा  और पश्चाताप के कारण रोने लगा और वह सेठ स्वयं से घृणा करते हुए वहां से चला  गया, सुबह वहाँ के  चौकीदार  ने बताया कि  वकील कैदी भाग गया, सेठ वहां अपने नौकरों के साथ गया यह बात साबित हो चुकी थी कि कैदी भाग गया था सेठ  ने कागज का टुकड़ा चुपचाप मेज से उठाया और अपनी तिजोरी में रख लिया आखिर वकील क्यों सब कुछ छोड़ कर भाग गया था  यह सेठ के लिए सबसे आश्चर्यजनक  प्रश्न था 

 वकील होशियार चन्द   जीवन की अनमोल सच्चाई को समझ चुका था कि अपनी जिंदगी का जो मूल्यवान समय वह एक बंद कमरे में व्यतीत कर चुका था ,वह उन जीवन के कीमती पलो  को ,वह उन पैसों से खरीद नहीं खरीदा नहीं जा सकता उसने तुलना की कि उसको  सौदा बहुत ही महंगा पड़ा क्योंकि वह अपने परिवार और अपने बच्चे और दोस्तों  और प्रकृति के स्पर्श से और  संसार की सारी खुशियों से  कितना समय दूर रहा ,चाहे उसके पास जरूरत की सभी वस्तुएं थी परंतु फिर भी उसने माना कि उसने अपने अनमोल समय को गवा दिया परंतु अफसोस कि उसे समझ बहुत देर से आए

इसीलिए हर दिन के महत्व को समझ कर उसका सदुपयोग करें, जरा सोचे कि कहीं हमने भी स्वयं को कमरे में बंद तो नहीं कर लिया  है यदि हां तो फिर कैसे  कोई खुशी  इनकी ऊंची दीवारों को पार करके हमारे पास आएगी। हमें यदि प्रसन्न होना है तो स्वयं को बदलना होगा और विश्वास कीजिए या बहुत ही आसान  है ना कि नामुमकिन जैसा ,कि अधिकतर लोग अपने मन को पीछे रख  कर सोचते हैं हमने स्वयं को खुश रहने की आदत डालनी है जैसे कि हमने स्वयं को दुखी रखने की आदत डाली हुई यदि हम यह याद न करे तो आप अपने आप को वैसा ही बना सकते जैसा हम चाहते हैं अपनी जिंदगी में स्वर्ग सा एहसास भी ला सकते परंतु यदि हम चाहे तो और यदि यह सचमुच यही  चाहते हैं तो हमें स्वयं को बदलने का यत्न करना होगा

इस कहानी से क्या सीख मिली -

दोस्तों इस कहानी की सच्चाई चाहे जो भी  है लेकिन यह अटल सच्चाई है की अक्सर लोग  जोस में होश गवा देते है जैसे इन  महाशय के साथ हुआ   ,उसने सोचा की मैंने तो एक डिफिकल्ट केश जीत लिया तो मै  दुनिया की सारी  चीज को जीत सकता हु अक्सर लोग पीछे खड़े हुए उनपर हॅसते है ,लेकिन सोच को अपने उनसे बेहतर बनाओ , न तो हसने से और न ही किसी के कुछ  कहने से कोई फर्क नहीं पड़ना  चाहिए ,अपना सोचने का नजरिया बदलो  ,कही ऐसा न हो की इन महाशय की तरह आपको भी बाद में अफ़सोस  करना पड़े , ऐसा  न हो इस लिए पहले ही उन सब से सजग हो जाओ की यह हमारे लिए सुख दायी नहीं है ,न हमारे  परिवार के लिए , होशियार चन्द  बस नाम का होशियार  था  उसको  पता है  उसने इस अनमोल  जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया 

दोस्तों कभी भी कोई फैसला सोच  समझ कर लेना चाहिए की वः आपका एक फैसला किस तरफ ले जाए आपको पता न हो , बाद में अफ़सोस करने से  अच्छा है  ,पहले ही उस गलती को सुधार लिया  जाये ,

दोस्तों अगर आपको यह लेख कैसा  लगा अगर आपको अच्छा लगा हो तो मुझे  कॉमेंट  करे  

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ