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सकारात्मक सोच कैसे विकसित करें-Personal Growth Development hindi

 सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति केवल अंदर से नहीं बल्कि बाहर से भी पॉजिटिव सोच वाले होते हैं सकारात्मक सोच वाले मनुष्य के भीतर ऊर्जा का संचार होता है वह व्यक्ति नेतृत्व क्षमता  का विकास भी करते हैं यह  सकारात्मक  नजरिया आपकी सोच  के साथ - साथ  बल्कि आपका जीवन भी बदल देगा, आपको जीवन को जीने की अलग पहचान  भी दिलाता है  दुनिया में बहुत ऐसे भी लोग है जिनकी सोच  नकारात्मक होने की वजह से वह अपनी जिंदगी में बुरे काम के आलावा  कोई और काम में उनका मन नहीं लगता है  

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हम चाहे जिस क्षेत्र में हो, कामयाबी की  असली बुनियाद तो हमरा सकरात्मक  नजरिया  होता है एक कामयाब  इन्सान बनाने के लिए सकारत्मक नजरिया की बहुत अहमियत  होती है  तो सोचो क्या हमें अपनी जिंदगी में अपने नजरिये की जाँच - परख नहीं करनी  चाहिए हमे  खुद  अपने आप से सवाल करना चाहिए की हमारा नजरिया हमारे सफलता के मकसद को पूरा करने के लिए कैसे असर  डालता है 

अगर हम जीवन में सकारात्मक नजरिया बनाना अथवा कायम करना चाहते हैं तो हमको यह अपने जीवन में  9  सोच बदलने वाले कदम उठाने पड़ेंगे


सकारात्मक सोच कैसे विकसित करें-Personal Growth s Development  in Hindi 

1 . दिन  की शुरुआत किसी अच्छे  काम से करें-

कभी आपके साथ जीवन में ऐसा कुछ हुआ है की आपका पूरा दिन आपके साथ कुछ गलत  ही गलत हुआ हो और आप ये कहने लगते हो की आज का दिन मेरे लिए खराब है अगर आप ध्यान से देखे तो आपकी दिन की शुरुआत किसी नकरात्मक  भावना या नकारात्मक नजरिये से की गयी थी इसलिए अपने सुबह  की शुरुआत किसी अच्छे काम अथवा सकरात्मक सोच से करे 

जीवन में आप कभी भी दुखी  या परेशान हो ,चाहे जीवन में जो काम करना  चाहते है तो दिन की  शुरुआत  परमात्मा को याद करे ,  ये नहीं की परमात्मा को बस सुबह  - सुबह ही याद करे , परमात्मा को दिन भर  याद करे और उनका नमन करे की  ,उन्होंने आपको कितनी प्यारी जिंदगी दी है ,और फिर इसके बाद अच्छे चीज पढ़े या अच्छे विचार सुने जो आपको अच्छी शिक्षा  देते है और  हमारे  जीवन में सोचने और समझने की  क्षमता बढ़ जाए 

2 . मुश्किलों  का आंनद  ले -

दोस्तों व्यक्ति के जीवन तो परमात्मा ने एक समान बनाया है  कही बार हमा रे   जीवन में मुश्किलें या समस्याए  हो जाती है और हम  बहुत परेशान हो जाते है और अपना नजरिया बदलने लगते है की हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ ,हमने तो अच्छा ही किया था लेकिन फिर भी हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ  ,जीवन में मुश्किलें और समस्याएं   जीवन का एक  हिस्सा है जो हमें जीवन में अपनी अच्छे दिनों को याद करने के लिए होता है ,अगर सोचो की हमारे पास सुख ही सुख हो तो क्या हम सुख की कद्र  करेंगे क्या हम सुख में खुश रहेंगे ,

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मुश्किलो  और समास्यो  से ही हमे अपने अच्छे दिन की पहचान होती है सुख और दुःख  दोनों  भाई होते है  जैसे कई  बार हम कही जा रहे होते है और हमारे समाने ढेर सारी   गाय सड़क पर आ जाती है तो हम परेशान हो जाते है की अब हम लेट हो जायगे ,लेकिन ऐसा नहीं है हमें उन सभी गाय को भी देखकर आनंद लेना चाहिए की वह प्राकृतिक का  एक सुनहरा दृश्य है  हमें उस पल में भी खुश रहना  चाहिए और अपनी परेशानियों को छोटी -छोटी  खुशियों  में तब्दील करे और यदि आप ऐसा कर पाएंगे तो मेरा मानिये आपकी   सोच  सकरात्मक में बदल जाएगी 

3 . सकारात्मक सोच  रखने वाले  लोगो के बीच रहे 

आपके जीवन में आपका व्यक्तित्व कैसा है यह काफी हद इन  बातो  पर निर्भर होता है की आप किन -किन लोगो के बीच रहते है यदि आप ऐसे व्यक्ति के बीच रहते है जो हमेशा समस्यो  का गुणगान करते है और जिनकी जीवन में हमेशा समस्याएं भरी होती है और हमेशा नकारात्मक  भावना रखते  है  तो आप कभी भी सकरात्मक  सोच नहीं विकसित  कर पाएंगे

 और आप भी नकारात्मक  भावना के शिकार  होते चले जायगे और आप में सकारात्मक  सोचने की  क्षमता ही नहीं होगी की आपको क्या करना है क्या आप के लिए सही है इसलिए दोस्तों आप नकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति से दूरी बना ले  और ज्यादा से ज्यादा आशावादी लोगो अथवा अच्छे विचार देने वाले लोगो के पास बैठे , जो आपको सही शिक्षा  प्रदान करते है और सकारात्मक   सोच विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करते है और उनके विचार आपको सही रूप से प्राभवित  करते है 

4 .  अंदर से अपनी  सोच बदले  -

हमें अपने जीवन में अपनी सोच को बदलना  चाहिए  के हम क्या  सोचते है और क्या हम अपनी सोच को नकारात्मक तो नहीं कर रखे है ,की  हमारे सोचने और समझने का नजरिया  अच्छा है हम किसी चीज या कोई काम करने से पहले ही यह मान लेते है की हम कर नहीं सकते है  ,या किसी के बारे में गलत सोचते है  सबसे पहले हमे अपने अंदर ही सुधार करना चाहिए हमें अपने अंदर एक परसेंट  भी नकारात्मक  भावना   को अपने अंदर  आने नहीं देना चाहिए ,आप ऊपर से अच्छा होने का दिखावा जीतना भी कर लो  लेकिन जब तक आप अपने अंदर से अपने आप को नहीं बदलोगे तब तक आपका व्यक्तिगत  विकास मुमकिन  नहीं है ,अपने अंदर की क्षमता को बदले जैसी दृस्टि वैसी सृस्टि ,कहते है न जैसे देखने का नजरिया वैसा ही वह चीज हमें दिखेगी 

5. हर  काम को तुरंत करे -

हम सभी अपनी जीवन में कभी न कभी काम को देखकर टालमटोल करते है मैंने भी ऐसा किया है जिसके लिए  बाद में मुझे पछताना  पड़ा है काम को देखकर टालमटोल करना मानो जैसी आदत सी हो गयी है  टालमटोल की वजह से हमारे नजारिये  पर ज्यादा फर्क पड़ता है ,किसी काम को न करने के लिए की जाने वाली टालमटोल की वजह से होत्ती है  यह वैसी ही बात है ,जैसे कोई बच्चा कहता की ,मै  बड़ा हो जाउगा तो ये काम करुगा ,जिससे मुझे खुशिया मिलेगी ,जब वह बच्चा  बड़ा हो जाता है तब बोलता है मैं खुशिया  पाने के लिए कॉलेज की पढ़ाई समाप्त होने के बाद करुगा ,फिर वह कहता है की

 मुझे  एक अच्छी  नौकरी मिलाने के बाद  ,पहली नौकरी मिलने के बाद वह कहता है की शादी हो जाने के बाद ये काम करुगा इन व्यक्ति को टालमटोल की आदत ही पड़  जाती है ,और वह सब देखते ही देखते ही उसकी सारी  उम्र टालमटोल  करने में बीत जाती है 

अगर आप अपने जीवन में सकारात्मक  नजरिया  कायम करना चाहते है तो आज से अपने हर काम  को तुरंत करने की आदत डाले  और अपने काम के प्रति फौरन उस काम में लग जाए तभी आपके जीवन में सकारात्मक   सोच  विकसित की जायेगी

6 . अहसान  मानाने का सकारात्मक नजरिया  बनाये -

आप अपने जीवन में समास्यों  के बारे में सोचने की वजह अपनी सहूलियत के बारे में गौर करे  अपने आस -पास के इर्द गिर्द फूलो की खुसबू सुघने के लिए समय निकाले ,आप कई  बार सुनते होंगे की किसी आदमी  दुर्घटना की वजह से पैर  टूट   गया हो लेकिन हर्जाने के तौर पर लाखो रुपये मिल जाए ,हम से कुछ लोग इस आदमी की तरह  बनाना  चाहेगे ,ऐसा सोचने और चाहने वाला शायद ही कोई ऐसा होगा हम शिकायत करने के इतने आदी  हो गए है की उन चीजों के ओर  हमारी नजर ही नहीं जाती जो हमारे पास सही सलामत है हमें तो अहसान  मानना  चाहिए की परमात्मा ने  हमारे एक ही पैर  टुटा है  दूसरा पैर  तो सही सलामत है , इस लिए जीवन में अहसान मानाने का सकारात्मक नजरिया बनाना होगा ,जो हमारे पास है उसी में ही परमात्मा का अहसान मनिये 

7 . ज्ञान  हासिल करने का नजरिया बनाये -

आपको इस बात का ध्यान देना होगा अपने    जीवन में की सकारात्मक सोच बना लेने से कुछ नहीं होगा जब तक हम जीवन में  अक्षर - शिक्षा नहीं बल्कि अपने अंदर के चरित्र को बदलना है नैतिक स्तर पर शिक्षित आदमी बनना है जो जीवन में सभी व्यक्तियों की तुलना में ज्यादा प्रभाव शाली और कामयाब  व्यक्ति बने और जीवन में तरक्की हासिल करे,  जिसे जीवन में  ज्यादा शिक्षा मिली, पर वह असल जीवन में उसके पास नैतिकता की पूँजी  बिलकुल नहीं है 

स्कूल और कॉलेज शिक्षा के साथ हमें नैतिकता की शिक्षा बहुत ही जरुरी है ,शिक्षित होने के लिए सूचनाएं भी बहुत जरुरी है  ,लेकिन उसके साथ हमे शिक्षा का सही मायने में समझना  चाहिए ,अगर हम दफ़्तर और समाज में लोगो  के चरित्र का निर्माण  करना चाहते है हमे उन्हें उस स्तर पर नैतिक शिक्षा  देने होगी , किसी व्यक्ति में ईमानदारी , दृढ़ता और जम्मेदारी जैसे बुनियाद गुण  विकसित  करने वाली शिक्षा  बेहद जरुरी है

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8. स्वयं को सम्मान दे - 

दुनिया बहुत से लोग ऐसे भी  है जो दुसरो से अपनेआप को काम समझते है की यह हम नहीं कर सकते है कई  लोगो के मन में यह भी विचार होते है की वह काले है ,अधिक सूंदर नहीं है ,मै  पढ़ाई में बहुत कमजोर हु ,मै  गरीब हु आदि इस तरह के नकारात्मक विचार उनके मन में घर  बना लेते है और अपने आप को दुसरो से काम समझते है ,दोस्तों एक बात हमेशा याद रखना ओरो  की तरह हम एक ही समान है ,परमात्मा ने सबको एक जैसा  बनाया है लेकिन हम सब  में  कुछ न कुछ  कमी  सबके अंदर होती है , सबके अंदर कुछ न हुनर भी होता है  हर इन्सान की शरीर में कुछ न कुछ कमी होती हैअगर किसी व्यक्ति की सूरत अच्छी है ,और पढ़ाई में तेज आदि है और अगर उसके अंदर एक अच्छी सीरत न हो तो उस  व्यक्ति कोई औकात नहीं है वह दुनिया की किसी भी उच्चाइयों  तक क्यों न   पहुंच जाए ,लेकिन उसके अंदर सकरात्मक सोच नहीं है तो वह व्यक्ति  कूड़े के सामान माना जाता है अगर कूड़े को कितने भी साफ -सुथरे  घर में क्यों न रख दो , वह रहेगा कूड़ा ही  ,ऐसी तरह दोस्तों जीवन में खुद को सम्मान दो और अपने अंदर नकारात्मक  भावना नहीं आने दे  और अपने  आप को दुसरो से   तुलना न करे ,आप भी अपने में बेस्ट हो 

9. अपनी कमियों से सीखे -

दुनिया में हर कामयाब व्यक्ति के पीछे कोई न कोई कमिया छुपी होती है परन्तु लोगो को उनकी कामयाबी दिखाए देती है उसके पीछे की कमिया उसकी कामयाबी की मिसाल होती है वह व्यक्ति अपनी कमिया से ही कामयाब बन पाया है इस लिए अपनी कमियों से सीखे ,अपने छोटे बच्चो को देखा ही होगा पहले वह पेट के बल चलता है, वह बच्चा चलने के लिए वह जमीन पर कितनी बार गिरता है लेकिन वह छोटा बच्चा हार नहीं मानता ,कितनी भी चोट लगने के बाद भी वह बच्चा फिर चलने की कोशिश करता है  फिर एक दिन ऐसा दिन आता है की वह बच्चा जमीन पर चलने  लगता है उसी तरह छोटे बच्चे अपने कमियों को न देखते हुए उसका  फोकस सिर्फ जमीन पर चलना था उसी तरह हमे भी   अपने जीवन में अपने कमियों से उठना  है और जीवन में आगे बढ़ना  है  

दोस्तों  अगर आप अपने जीवनमें  सकरात्मक सोच विकसित  करते है तो आप सही मायनो में एक सफल व्यक्ति हो यह आपके जीवन में सोचने की क्षमता को सकरात्मक  बनाता है और हमें परमात्मा का भी शुक्र भी करना चाहिए जो भी होता सब अच्छे के लिए होता है अपने जीवन में सकारात्मक विचार को आने दे 

दोस्तो अगर यह  लेख आपको कैसा लगा अगर आपको अच्छा लगा हो तो मुझे कमेंट करे 

ध्यानवाद 

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