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प्राकृतिक सौंदर्य का अर्थ- Meaning of natural beauty

यह संसार बहुत ही खूबसूरत है बस  देखने के लिए समय और देखने का नजरिया होना जरुरी है आज  मै  इस लेख के माध्यम से आपको प्राकृतिक सौंदर्य का अर्थ क्या है यह  बताऊगी। प्राकृतिक सौंदर्य तो सबको पता होगा की यह क्या है लेकिन इस आधुनिक युग में जहाँ  लोगो ने इतनी तरक्की कर ली और प्राकृतिक सौंदर्य क्या ही इसे  जैसे मनो भूल  सा गए हो आज मैं  आपको इस लेख के माध्यम से आपको प्राकृतिक सौंदर्य  के बारे में बताऊगी  आज के समय में हमने अपने जीवन में क्या आनंद नहीं लिया है

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यह संसार कितना सुंदर है और इसे सुंदर बनाने में सबसे अधिक योगदान प्रकृति का ही है प्राकृतिक सौंदर्य का अर्थ क्या है यह पेड़- पौधे,झील , पर्वत,नदिया,  झरने ,आदि ने दिया यह सब हमारी धरती को सुंदर बनाने में सहायक है यह हसीन सुंदरता हमारे लिए है ताकि हम अपने जीवन को आनंदमयी  बना सकें

क्या हम इन मनमोहक  नाजारों का आनंद ले रहे हैं या फिर इनका हमारी जिंदगी से से कोई लेना-देना ही नहीं है और इन सब का होना या ना होना हमारे लिए एक बराबर है यदि सच में हमने कभी इन नाजारों की ओर ध्यान से नहीं दिया है। सुंदरता का आनंद नहीं उठाया तो हमसे  भाग्यहीन कोई और नहीं है  यह  बिना  किसी मूल्य के हमारे जीवन को  सुन्दर  बना दिया है और हमे इसकी कोई कद्र ही नहीं है   

 आप सभी लोग जानते है हमारी पृथ्वी को सबसे सुंदर ग्रह माना जाता है इसकी हरियाली रंग -बिरंगे ,फूल सुंदर पशु -पक्षी और कोयल जैसी मीठी बोली वाली पक्षी जो मन को मंत्रमुग्ध कर देती है इसे सुंदर बनाते हैं और अनेक तरह के फूलो की खुसबू जो हमें रोज अनेक तरह की सुगंध प्रदान करते है कभी आपने इन  सभी प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लिया है   

कभी रात को  छत पर जाकर चांद -तारों की ओर देखें हो ,खुले आकाश में चांद- तारों का नजारा  इतना सुंदर लगता है कि पल भर में आपकी सभी परेशानियां भुला देता है कभी चांद को ध्यान से देखा  तो नहीं उसकी धीमी- धीमी चांदनी भी बिखेरती रोशनी बहुत ही प्यारी लगती है परंतु हम सब इन में रहते हुए भी इनसे दूर है हमें इनका होना तो पता रहता है लेकिन हम इनका कभी आनंद नहीं ले सके 

लेकिन जो हमारे पास है उसे अनदेखा ना करें यह सब हमें खुशी देने के लिए कम नहीं। हमारे चारों ओर खुशियां बिखेरी पड़े हैं परंतु हम उन्हें अनदेखा करके उनके बीच में से मुंह बना कर निकल जाते हैं यह हमारा दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है प्राकृतिक सौंदर्यका जब तक हमने उसे जाना नहीं तो यह जीवन जीना  आपका बेकार है वह सुबह की किरणे जो हमारे  शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक  माना  जाता है कभी उन किरणों का आनंद  लिया है अपने 

प्राकृतिक सौंदर्य हमें क्या-क्या नहीं दिया। परंतु हमारी सोच ही ऐसी हो गई है कि जो गलत लगा उसे कोसने लगे, और अच्छे को कभी याद नहीं करते क्या कभी  मोती जैसी बारिश  पर ध्यान दिया है वर्षा होती तो हम सभी ने देखी है परंतु ध्यान देना अलग बात है क्या कभी वर्षा का आनंद लिया है जैसे खाने को देखने से भूख नहीं मिटती उसी प्रकार वर्षा को देखने भर से कुछ नहीं होता वर्षा का आनंद ले, वर्षा में आकर खड़े हो जाएं ,और अपना मुख ऊपर कर ले ,बाजू फैला ले ,पहले अपनी आंखें बंद कर के ,भीतर से वर्षा को महसूस करें अब आंखें खोल कर ऊपर से बरसती वर्षा को देखें फिर चारों ओर घूम कर उसे महसूस करें चाहे तो कुछ समय के लिए वर्षा में बैठ भी सकते हैं फिर देखिए आप कैसे एक अनोखे सुकून से भीग जाएंगे वर्षा तो बहुत देखी होगी। आपने  परंतु जो इस वर्षा का आनंद होगा वह सबसे अलग होगा। चारों और  सब कुछ सुन्दर -सुन्दर  और नया लगेगा दुनिया रंगीन लगने लगेगी।  आप महसूस करेंगे कि आपने कितनी वर्षा वैसे ही गवा दी  फिर आप वर्षा का इंतजार करने लगेंगे   यही है हमारी छोटी- छोटी खुशियां जिन्हें हम प्राप्त कर सकते हैं परंतु करते नहीं

जीवन का मूल भी तभी पता चलता  है जब जीवन में खुशियां है  बिना खुशियों  से भरी जिंदगी कोई नहीं जीना चाहता जीवन चाहे छोटा ही क्यों न हो यदि जीवन जीने का सलीका होना चाहिए।  तो व्यक्ति अपने आप में सफल हो जाता है जैसे एक नरगिस का फूल होता है वह केवल 1 दिन के लिए ही खिलता है परंतु अपनी सुंदरता और सुगंध से वह सबके मन को भाता है 1 दिन के जीवन में ही  सभी का दिल जीत कर अपने जीवन को सार्थक कर लेता है

दूसरी ओर  बाँस  जो वर्षों तक खड़ा रह सकता है परंतु उसमें कोई खुशबू नहीं ,कोई कोमलता नहीं ,किसी के मन को नहीं भाता उसका जीवन  जीना बेकार हो जाता है ऐसा जीवन  बेकार   माना  जाता है इसी प्रकार हमारा जीवन है जीवन काल  चाहे लंबा हो या छोटा व सुंदर होना चाहिए। तथा उसमें उमंगों की खुशबू और प्यार की कोमलता होनी चाहिए बांस  जैसा सूखा व निराश जीवन किस काम का जिसमे कोई कोमलता नहीं  जीवन जीने का सलीका नहीं ऐसा जीवन जीना व्यर्थ  माना  जाता है 

सुख भरी छोटी जिंदगी जिसमें आनंद है हंसी और प्यार हो ,उस लंबी जिंदगी से कहीं बेहतर है जिसमें घुटन ,आंसू,तन्हाई और केवल तकरार हो इसीलिए जिंदगी वही है जिसमें जीने की चाह हो ,  सांस लेना ही जिंदगी नहीं होती

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प्राकृतिक सौंदर्य का अर्थ क्या है ध्यान से देखा जाए तो इस धरती पर कितना सब कुछ  है जो हमें खुशी दे सकता है कुदरत की सुंदर देनी यह पेड़- पौधे चांद -सितारे ,नदिया ,झरने, फूल -कलियां ,वसंत वर्षा आदि बदलती रहती है जहां तक हम अपनी सोच को बढ़ाएंगे कुदरत की हर एक चीज सुंदर और खुशी देने वाली नजर आएगी। दुख देने वाली चीज तो कुदरत ने कोई बनाई ही नहीं है ,क्या है कोई ऐसी चीज कुदरत ने जो हमें दुख देने के लिए बनाई है  शायद कोई नहीं फिर भी इंसान इतना दुखी क्यों है आप तो कुदरती वस्तुओं के अतिरिक्त इंसान ने और भी  ऐसी -ऐसी वस्तुएं बना ली है उनके सुखों में वृद्धि हुई सुखो के साथ -साथ  फिर दुखों में ही वृद्धि हुई कारण मानव स्वयं उसको बुलावा दे रहा है वह दौलत ,शोहरत में खुशी तलाश कर रहे है  दौलत ,और शोहरत ,कमाना कोई गलत बात नहीं है लेकिन उसकी वजह से अपना सुख -चैनभी त्याग देना यह गलत है   प्राकृतिक सुंदर को तो वह भूल ही गया है यही कारण है कि सुंदर दृश्य सुंदर नजारे उसे खुशी देने के लिए काफी नहीं है और माया इस अंधी दौड़ में दौड़ते हुए उसे पता ही नहीं चलता कि वह पीछे- पीछे क्या छूटता जा रहा है उसे रास्ते में आने वाले सुंदर नजारे को जो मन को एक सुकून दे सकते हैं ये उन्हें  दिखाई नहीं देते यह मौसम यह बहार कब आते हैं कब चले जाते हैं उन्हे  कुछ पता ही नहीं चलता पतझड़ और बाहर से वह वे  खबर है कब चांद निकला कब सितारे चमके उसे कुछ पता ही नहीं प्रातः घास पर उसकी बुँदे  जो मोतियों जैसी लगती है उन्हें देखने के लिए समय ही किसके पास है शायद जीवन की तीव्र गति में वह सब कुछ पीछे छूटता जा रहा है जिस खुशी के लिए वह दौड़ता चला जा रहा है वह खुशी उन्हीं चीजों में है जिन्हे वे  अनदेखी कर रहा है कहने का अर्थ यह नहीं है कि हम अपने काम छोड़ दे और केवल इस प्रकृति की ओर ही लग जाए तो यह है कि हम केवल और केवल काम में ना लगे रहे काम के साथ-साथ इस काम को करने का आनंद लें

काम के बोझ का मारा व्यक्ति मानसिक रोगों का शिकार जल्दी होता है जैसे कि कई महिलाएं प्रातः से सांयकाल तक घर का काम करती हैं और बच्चों को संभालती हैं वह सबका ध्यान रखती है यहां तक कि यदि घर  पर पालतू जानवर कोई हो घर में तो उसको  भी पूरी तरह  संभाल कर कार्य  करती है  परंतु इस सब कार्यों में वह इतनी व्यस्त हो जाती है कि वह अपने आप को भूल जाती  हैं वह अपने लिए समय ही नहीं  निकाल पाती जिससे उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है वह अपने चारों ओर एक घुटन भरा वातावरण तैयार कर लेते हैं यदि वे उस घुटन से बाहर निकलकर इस वातावरण को ही अनुभव करें तो एक अद्भुत आनंद प्राप्त कर सकते हैं इसी प्रकार से किसी कार्यालय में काम करने वाला पुरुष अपने- अपने कार्य में ही खोए रहते हैं ऐसा नहीं है  कि उनके पास समय नहीं बाहर घूमने या कुदरत से मिलने का परंतु सही बात तो यह है कि उन्हें इनकी उपयोगिता ही नहीं पता चलती है  थका हुआ व्यक्ति फूलों के बाग में जाने से अधिक प्राथमिकता टेलीविजन को देखने में  देता है वह कभी चांद सितारों का आकाश को देखने के लिए  छत पर नहीं जाएगा और ना ही ठंडी हवा की ठंडक अनुभव करेगा घर के कमरे से निकलकर एक कमरे से लेकर शाम तक उनका दिन वैसे ही काट जाता है  ऐसा लगता है की उन सभी लोगो ने  स्वयं को एक कमरे में बंद कर रखा ऐसा तो नहीं है कि वह घर से बाहर की दुनिया नहीं  देखता है और आता- जाता नहीं  परंतु वह  क्लब  और  पार्टियों  में जाना पसंद करते है जहां इतना शोर-शराबा  होता है कि वह व्यक्ति खुद की अपनी आवाज तक नहीं सुन पाता और बस यहीं तक बंद कर रह जाता है खुले आकाश के नीचे बैठने का आनंद तो शायद वह भूल ही गया है शायद हवा ही कुछ ऐसी चली है कि आधुनिकता की इस दौड़ में जो कुछ भी हो रहा है  

माना यह संघर्ष का दौर है कंपटीशन का दौर है तथा सभी को अपना -अपना स्थान बनाए रखने के लिए संघर्ष करने के लिए बहुत ही परिश्रम की आवश्यकता है यहां तक कि बच्चों को भी खेलने का समय नहीं मिलता बचपन से ही उन्हें कुछ सीखना सिखाना शुरू कर दिया जाता है ताकि आगे जाकर उनके काम आ सके अब बात घूम फिर कर वहीं पहुंच जाती है कि हम कल की चिंता में अपना आज खराब कर रहे हैं भविष्य की चिंता में अपना आज खराब करना कहां  उचित है बचपन ही तो है हमारे जीवन का अनमोल समय होता है जिसे याद कर हर कोई खुशी का अनुभव करता है बचपन ही तो होता है कोई चिंता नहीं होती यदि बच्चों से उनका बचपन ही छीन गया तो शेष क्या रह जाएगा इसीलिए बचपन में उचित शिक्षा दें परंतु ध्यान रहे बच्चों को खेलने का समय अवश्य मिले ताकि वह पूर्ण रूप से विकसित हो सके

इसी प्रकार हमें भी चाहिए कि हम अपने मनोरंजन के लिए चाहे कहीं भी जाए परंतु साथ ही स्वयं को प्रकृति के साथ भी  जोड़े रखें। यह  प्राकृतिक सौंदर्य   हमें खुशियों से जोड़ कर रखते हैं मन को सुकून देने वाली प्रत्येक बात पर ध्यान दें जैसे कि यदि हम कोई पुस्तक पढ़ते हैं तो हमारे दिल दिमाग पर उसका प्रभाव जरूर पड़ता है मान लो आप कोई भावनात्मक लेकर अथवा कहानी आज पढ़ते तो कुछ समय के लिए वह आप को भावुक कर दीजिए या भावुकता पढ़ते समय आपके चेहरे पर साफ दिखाई देंगे अब कुछ समय उपरांत भी उसका प्रभाव आप रह सकता है उसी प्रकार कुछ अच्छा मन को प्रशंसा देने वाला साहित्यिक  यदि आप पढ़ेंगे तो आप आपकी मानसिक अवस्था को भी प्रसन्न रखने में सहायता अतः सदा अच्छा साहित्य पढ़े अच्छा सोच अच्छी जगह पर जाना  कि सब कुछ अच्छा हो निरन्तर प्राकृतिक सौंदर्य स्पर्श से जुड़े रहे

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