मैंने ऐसा क्यों नहीं माँगा ; ( यह लेख आपका जीवन बदल सकता है )
दूसरे दिन मोहन और हरिया रोज की तरह किसी न किसी के खेतो में काम करते और अपना जीवन यापन करते एक दिन वह रोज की तरह दुसरो के खेतो में काम करने के लिए जा रहे थे की अचानक एक भूख से व्यकुल व्यक्ति वहां पेड़ के नीचे खाने के लिए दुसरो से खाना मांग रहा था तभी वहा पर मोहन और हरिया उस व्यक्ति की
आवाज सुनकर वह गए और बोला आपको क्या हुआ है उस व्यक्ति ने उससे बोला ,मैंने 2 दिनों से कुछ नहीं खाया है मुझे खाने के लिए कुछ दे दो यह सुनकर मोहन बोला हम दोनों खेतो में काम करने जा रहे है तुम तो आराम से यहाँ सो रहे हो हमें भूख लगेंगी तो हम क्या खायेगे अगर हमने अपना खाना तुम्हे दे दिया तो यह बात सुनकर वह
व्यक्ति वहा से जाने लगा ,तभी हरिया ने बोला रुको आप मेरा खाना खा लो मैं भूखा रह लूँग हरिया ने बोला आप खाना खा लो और मैं खेतो में काम करने के लिए जा रहे है यह कहकर वह दोनों खेत की तरफ वहां से चले जाते है तभी मोहन बोलने लगा तुमने अपना खाना क्यों दिया अब तुम क्या खाओगे मोहन ने बोला हमारे पास पहले ही
खानो को कम था हम दुसरो को खाना कहा से खिलायेगे हरिया बोला कोई नही वह वक्ति दो दिनों से खाना नहीं खाया था मैंने तो आज ही खाना खाया है इसी लिए दे दिया
.
दोनों आपस में बात कर रहे थे की भागवान ने हमें कैसा जीवन दिया है दुसरो की तरह कही घूम नहीं सकते न ही दुसरो की तरह कुछ अच्छा खा सकते है न हम अच्छे कपडे और अच्छे मकान में रह सकते है अगर हम
भगवान से मिलकर पूछते हमें आपने ऐसा जीवन क्यों दिया है और बोलते आगे से हमें ऐसा जीवन न दे यह बोलते हुए वह अपने रोज की तरह अपना जीवन व्यतीत करने लगे कुछ दिनों बाद दोनों की मृत्यु हो जाती है और वह भगवान् के पास जाते है भगवान् पूछते है अब तुम्हे कैसा जीवन चाहिए मोहन ने बोला हे भगवान मुझे ऐसा जीवन दो जिसमे मुझे कोई काम न करना हो लोग मुझे पैसा दे और मुझे कोई पैसा वापस न देना हो भगवान् ने पूछा और कुछ भी चहिये मोहन ने बोला बस इतना ही
तब भगवान् ने हरिया से पूछा तुम्हे कैसा जीवन चाहिए हरिया ने बोला भगवान् मेरे पास सारी खुशिया थी घर परिवार और खुशहाल जीवन था रोज काम करता था मुझे आपसे कोई शिकयात नहींहै अपने पिछले जन्म के बारे में एक शिकयत है अपसे की जब कोई भिखारी मेरे द्वार पर आता मैं उसको कुछ दे नहीं पाता
भगवान् ने हरिया से पूछते है हरिया बोलता है भगवान मुझे ऐसा जीवन दो जिससे कोई गरीब व् भिखारी मेरे दरवाजे से खाली हाथ न जाना पड़े यह सुनकर भगवान ने बोला ठीक है
उन दोनों का जन्म दुबारा हो गया मोहन को भिखारी का जन्म मिला और हरिया को एक जमीदार का एक दिन मोहन भिक्षा मांगने हरिया के घर गया हरिया ने भिक्षा उसे दे दी और जाते हुए फिर भगवान् को कोसने लगा और बोला मुझे कैसा जीवन आपने दिया तब भगवान् ने बोला तुमने क्या मेरे से माँगा था
मोहन ने बोला मुझे किसी को देना न पड़े और सब मुझे दे यह सुनकर भगवान् बोले इसी लिए तुम्हे भिकारी का जन्म मिला है सब देते है भिकारी से कोई लेता नहीं है और हरिया ने ये माँगा था मेरे दरवाजे से कोई खाली हाथ न वापस जाए इसलिए उसे जमींदार का जन्म मिला है
भगवान् ने बोला जो भी मानव
के रूप में है वो एक दुसरो से जुड़े हुए है बिना काम के जीवन नहीं है जीवन में दुसरो की मदद करो जो जीवन मिला है उसी में खुश रहो और दुसरो के प्रति प्यार बना के रखो और जीवन में सबको देने वाले बनो देने वाले हमेशा धनवान होते है ऐसे लोगो को भगवान् भी भरपूर देते है मांगना है तो भगवान् से मांगो देने वाला भगवान् है यह बाते सुनकर मोहन समझ गया और मोहन को बहुत पछतावा होने लगा और बोलने लगा मैंने ऐसा क्यों नहीं माँगा
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