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प्रेणादायक सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी -Motivationl story satguru baba hradev singh ji


 
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वर्तमान  के  सद्गुरु  बाबा  हरदेव  सिंह जी  का  सन्देश  यह है   की निरन्तर  सेवा,  सिमरन  व् सत्संग से जुड़े रहे ये  तीनो वचन    मानव  जीवन  के अटूट  अंग  होने  चाहिए  इन  तीनो  के समावेश  से  मानव  जीवन के  अटूट    होने  चाहिए  बाबा जी एक मिशाल थे निराकारी मिशन के लिए  जब बाबा   हरदेव  सिंह  जी के  मानव शरीर  में परमात्मा  प्रकट  हुए तब  वातावरण कही  अधिक  भयानक था  पंजाब सहित  लगभग  पूरा  भारत  आसन्त  था  हिंसा  तथा  अज्ञान  की  आधी  ने इन्सान  को हैवनियत की  और धकेल  दिए  परिणामस्वरूप  अहिंसा  की  प्रतिमूर्ति   युगप्रवर्तक  बाबा  गुरवचन  सिंह  जी  इस हैवानियत  को रोकने के लिए मानवता   की बलिवेदी  पैर चढ़  गए  उनके बलिदान के बाद   26  वर्ष की उम्र  में ही संत  बाबा  हरदेव  सिंह  जी को  इस  कार्य का उत्तरदायित्व  सौंपा  गया  27  अप्रैल  1980  में अपने पहले  सम्बोधन  में उन्होंने  जो कहा उन्होंने  सिद्ध  कर दिया की  सिर्फ शरीर  का  परिवर्तन  हुआ है  शक्ति  वही है उन्होंने अपने सम्बोधन  में ' तेरे भाणे  सरबत का भला '  तथा '  कन्हैया  जी के वसूलो  की बात की कठिन  परिथितियों  के बावजूद  उन्होंने सिद्ध कर दिया की मिशन "वसुधैव कुटुम्ब्कम " तथा  सहनशीलता  " के मार्ग  से पीछे  नहीं हटा सकता " अंधेरो को  भगाने के लिए अंधेरो को कोसने   या उस पर  वार  करने की आवश्यकता  नहीं है   बल्कि उठकर दीपक  जलाने  की  आवश्यकता  होती है फिर अँधेरा स्वयं  ही भाग  जाता  है 

निराकारी बाबा जी ने कभी  कोई ऐसी बात  नहीं  कहीं   जिससे  किसी के प्रति द्वेष  झलकता  हो उनके वचनो व् कार्यो  में समानता  थी यहाँ  तक  की कहलाने  वाले सज्जन भी उन्हें मात्र  अपना गुरु नहीं मान  सकते   
निराकारी बाबा ,सिर्फ इस अर्थ में निरंकारी  बाबा है  की वे निराकार को जानकार  मानने की बात कहते  है  वे कहते  है की  एक निराकार अर्थात  परमात्मा को जानने के   बाद  परमात्मा  की भक्ति  हो सकती है वास्तव में उनके  ह्रदय  में मानवता  पुरे संसार  के प्रति  अपनापन इसलिए वे  पुरे संसार के बाबा थे 

मिशन  के बारे में बोलते  हुए  एक बार बाबा  हरदेव सिंह  जी  ने कहा की जिस प्रकार हिमालय पर चढ़ने का किसी का मिशन होता है किसी का सागर  पार करने का मिशन  होता है इसी  तरह हमारा मिशन - पुरे संसार को सुखी करना है  संत  निरंकारी  मिशन  न तो कोई मजहब  है न ही किसी मजहब  का सम्प्रदाय है ये  मिशन बहुत  उदार है यहा  धर्म परिवर्तन  नहीं ह्रदय  परिवर्तन  में विश्वास  रखता है बाबा जी के शब्दों में - " हम किसी  के धर्म -वेश  या खान -पान में परिवर्तन  नहीं करते  बल्कि उसके विचार धारा  में  परिवर्तन  करते है  चाहे वो   हिन्दू  ,मुश्लिम ,सिख ,ईसाई जो भी हो  ये सब आपस में भाई - भाई है   ये सब होते हुए   भी  निरंकारी  मिशन  को अपना सकते है धर्मो को वास्तविक  रूप  से मानने  लगे तो  संसार में कही  भी हिंसा और वैर  का नमो निशान  नहीं रहेगा और संसार खुश रहेगा  

निरंकारी बाबा  जी अपने अनुयाइयों  को यही बताते की धर्म   तो दुसरो को जीवन दान  देता है , ख़ुशी देता है ,धर्म  तो बसाने  का काम  करता है , उजाड़ने  का नहीं ,अगर धर्म  में से शीतलता  चली गयी , करुणा चली गयी  तो हमारे ह्रदय में  तपिश रहेगी  अब  शीतलता देने की आवश्यकता है ऐसे  कर्म करने वाले ही धर्मी होते है भले  ही वे थोड़े  हो वरना  लाखो -करोड़ो  की  गिनती  क्यों न हो जाये  वे धर्मी नहीं होते 
बाबा हरदेव सिंह   जी ने  कहा है धर्म ,सगठन का विषय  नहीं है , श्रद्धा  का विषय है जिस  प्रकार एक स्थान  पर सिमित  होकर  शुद्ध  जल  भी  गन्दा होना  शुरू  हो जाता  है इसी  प्रकार अपने चारो  ओर दीवारे खड़ी  करने पर के विकृतिया  चुपचाप  खड़ी  हो जाती है आज आवश्यकता है गुण  ग्रहण  करने की जिस सनशीलता और वास्तविकता की नींव  पर मिशन  खड़ा  है बाबा  हरदेव जी महराज कहते की धर्म न किसी  तलवार से बचा है और न ही किसी तलवार से ख़त्म  हुआ  है अगर असहनशीलता  ,कटुता संर्कीणता  ,खुदगर्जिया  बढ़ती रही तो धर्म  लुप्त हो जायेगा 

निरंकारी  मिशन में नारी का स्थान  श्रेष्ठ  माना गया है   नारी - कुटुंब  अथवा  परिवार का केंद  बिंदु है भारतीय संस्कृति  नारी को  जहा माँ के रूप में मानव समाज की नींव  है वहीं  उसे शक्ति का प्रतीक  माना  जाता है नारी  पूज्य  रूप में  प्रस्तुत करते है 
जहाँ  नारियो  की पूजा होती है ,वहाँ  देवताओ  का वास होता है  इसी  प्रकार भारतीय  संस्कृति में  नारियो को पूजा  का पात्र  माना जाता है  संत  निरंकारी  मिशन में जहा भी मानवीय मूल्यो  को महत्व  दिया जाता है और नारी शक्ति के मौलिक  गुणों को  स्वीकार किया जाता है परन्तु मानवीय  आधार पर नर -नारी में कोई भेद भाव  नहीं होता निरंकारी  मिशन एक ऐसा मिशन है   बुराई पर अच्छाई की जीत होती है  संत   निरंकारी मिशन  के पहले  सद्गुरु  बाबा बूटा सिंह  जी से लेकर  ,अब बाबा  हरदेव जी तक  के अपने समय में नारी शक्ति को महत्व  देते थे 
जैसे - एक  पिता  अपने बच्चे को बाजार में से कोई वस्तु  लाने को कहे यदि वह बच्चा बाजार में ही रह जाए जिस काम के आया था वह भूल गया तो उसका पिता  क्या  उससे खुश  होगा और यदि वह बाजार भी घूम कर आता है और वह वास्तु भी लेकर आता है  अवश्य उसपर प्रसन  होगा  ऐसी प्रकार हम मानव रूप में जन्म लिए क्या  इस संसार  रूपी बाजार में भूल जाए तो क्या   हमारा जीवन सफल होगा 

आज के सतगुरु माता सुदीक्षा  जी वर्तामान  के सतगुरु है जैसे  बिना शिक्षक  के शिष्य को  पढ़ाई का ज्ञान नहीं मिलता  शिक्षक   अपने शिष्य को जो  सीख  देता  उसी सीख से वो पढ़ाई में अव्वल आता है   उसी तरह  बिना गुरु के  ज्ञान नहीं  है बिना सतगुरु के भक्ति नहीं 

 जीवन के  अनमोल वचन -

* सहनशीलता कमजोरी नहीं  शक्ति का सूचक है 

*भक्त एक खिले फूल की तरह होता है और भक्ति उसकी महक
 
* इंसानो से समाज बनता है  इन्सान सुधरेगा तो समाज सुधरेगा 

* भक्तजन समर्पित  करके भी भरपूर रहते है संसार छीन  कर भी खाली रहता है 

* अंधकार और प्रकाश की भांति  अभियान और ज्ञान भी इकटठे  नहीं हो पाते 

* सूरज की  रोशनी का लाभ वही  लेता है जिसकी  आँखे  है 

* अज्ञानी  सदा सोये रहते है ज्ञानी सदा जागते रहते है 

* चाहे तुम्हरा  कोई भी साथ न दे  तो अकेले  ही सत्य  के मार्ग पर बढ़ते  चलो 

* जो व्यक्ति संतुष्ट है चाहे उसके पास  चाहे थोड़ा  सा ही धन हो  फिर भी स्वयं को धनवान  समझता है 

* जो   खुश रहते है उनके मन में कभी  आलस्य नहीं होता है आलस्य  एक बहुत  बुरी आदत है 

*मनोविकारो पर विजय पानी  करना ही आत्मा की सच्ची स्वतंत्रता है  

* दुसरो को ख़ुशी देंना  सबसे  बड़ा दान  है जो हर्षित   मुख होता है वह स्वयं भी प्रसन्न रहता है और दुसरो के होठो  पर  मुस्कान ले आता है  होठो पर  मुस्कान हर  कठिन   काम को आसान  कर  देती है 

* व्यर्थ कर्म  भारीपन व् थकान लाते है जबकि श्रेस्ट काम  हमेशा प्रसन्न और हल्का  बनाकर ताजगी  प्रदान करते है 

* अपनी उन्नति के लिए  अधिक से अधिक समय  लगाए तो दुसरो की आलोचना  करने का  समय   ही नही  मिलेगा 

* एक सच्चा व्यक्ति सत्य  अपनाकर इंसनियत की  बुलंदियो  तक पंहुचा ता है 

* यदि  तुम अच्छे रस्ते पर हो तो संसार  की बड़ी  से  बड़ी शक्ति   तुम्हारा  कुछ  बिगाड़  सकती 

* ईमानदार  व्यक्ति हमेशा  प्रसन्न एवं सुखी रहता है  तथा ईमानदारी की सदैव विजय होती है 

                                      धन  निरंकार जी 

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